खुद करती है सारा काम
मीनू ने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना लिया। उसने ठान लिया थ कि वो किसी पर बोझ नहीं बनेगी। अपनी इच्छाशक्ति और हौसले के बल पर मीनू आज अपना सारा काम खुद करती है। चाहे वो साइकिल चलाना हो, पैरों से लिखना, कपड़े धोना या किसी भी प्रकार की साफ-सफाई करना। ये सारा काम वो स्वयं करती है बिना किसी की मदद के। वो हर आम लड़की की तरह अपनी जीवन जीती है।
हादसे में खोए दोनों हाथ,फिर भी नहीं थमी जिंदगी की रफ्तार
होशियार छात्र
मीनू 5वीं क्लास में पढ़ती है और पढ़ाई में बेंहद होशियार है। मीनू के माता-पिता मजदूरी का काम करते हैं। उनको अपनी बेटी पर गर्व है क्योंकि उसने अपनी लाचारी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।
हादसे में खोए दोनों हाथ,फिर भी नहीं थमी जिंदगी की रफ्तार
हादसे का हुई थी शिकार
दरअसल मीनू जब 2 साल की थी तब एक ट्रेन एक्सीडेंट में उसने अपने दोनों हाथ गवां दिए थे। यह हादसा इतना दर्दनाक था कि उसके मां-बाप सदमे में आ गए थे। मां-बाप को चिंता थी की उनकी बेटी बिना हाथों के अपना जीवन कैसे काटेगी लेकिन उसने अपने मां-बाप की चिंता को अपने बुलंद हौसले से खत्म कर दिया। उसने अपने आपको हर काम के लिए सक्षम बना लिया है।

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