बढ़ी अनिश्चितता  
जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन पर अनिश्चितता रविवार को और बढ़ गई। पीडीपी ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर और नई दिल्ली के बीच जो अविश्वास की खाई है, उसे भाजपा को दूर करना होगा। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि वह सत्ता के लिए राज्य और पार्टी हितों की बलि नहीं देंगी। उन्होंने यह भी कहा है कि पहले वह इस बात का दोबारा आकलन करेंगी कि केंद्र की भाजपा सरकार जम्मू-कश्मीर से जुड़े महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक मसलों के लिए एक तय समय सीमा में ठोस कदम उठा पाएगी या नहीं। दूसरी ओर पीडीपी ने राज्य में राज्यपाल शासन के बाद नए सिरे से चुनाव की संभावनाओं को कयास करार देते हुए खारिज कर दिया है। हालाकि महबूबा ने कहा था कि अगर उनको समाधान नहीं मिलता तो वो वापस जनता के बीच जाने से नहीं हिचकिचायेंगी।

हल मिलने पर 24 घंटे में सरकार
इस बीच महबूबा मुफ्ती ने राज्य के मौजूदा हालात व भाजपा से गठबंधन के एजेंडे पर चर्चा के लिए पार्टी की आमसभा की एक बैठक बुलाई थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग, पूर्व वित्तमंत्री डॉ. हसीब द्राबु समेत सभी प्रमुख नेता बैठक में शामिल हुए। फोटो सत्र के बाद बैठक बंद कमरे में चली और उससे मीडिया को पूरी तरह से दूर रखा गया। बैठक में मौजूद रहे नेताओं ने बताया कि इस बार महबूबा मुफ्ती का रवैया पिछली बैठकों से पूरी तरह बदला हुआ था। उन्होंने राज्य के मौजूदा हालात पर सभी की बात सुनते हुए कहा-‘मैं ऐसे ही सरकार नहीं बनाने वाली। मुझे कश्मीर के हित ज्यादा प्यारे हैं। अगर मुझे यकीन हो जाए कि रियासत और यहां की अवाम के अधिकारों का पूरा सम्मान व संरक्षण हो रहा है तो मुझे सरकार बनाने में सिर्फ 24 घंटे ही लगेंगे।’ 

Mehbooba Mufti in a meeting

नहीं नजर आ रहा विश्वास और सुरक्षा का माहौल
महबूबा ने कहा कि उनके पिता के नेतृत्व में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने राज्य के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन राज्य के मौजूदा वातावरण में इनका असर अभी जमीन पर नहीं दिख रहा है। महबूबा ने यह भी कहा कि विश्वास और सुरक्षा का जो माहौल होना चाहिए, वह नजर नहीं आ रहा है।
पीडीपी के नए पैंतरे पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है-‘पीडीपी का यह सोचना पूरी तरह गलत है कि नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए उसकी शर्तों पर झुक जाएंगे।’

वहीं नईम अख्तर, जो पीडीपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व शिक्षामंत्री है ने कहा है कि ‘एक बार हमारी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती इस बात से संतुष्ट हो जाएं कि नई दिल्ली एजेंडा ऑफ एलायंस को उसकी मूल भावना में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है तो वह सरकार के गठन के संदर्भ में जरूर फैसला लेंगी।’ वहीं नेशनल कांफ्रेंस के कार्यवाहक प्रमुख उमर अब्दुल्ला का कहना है कि ‘एजेंडा ऑफ एलायंस महबूबा मुफ्ती के लिए एक पवित्र दस्तावेज है, जिसे वह पूरी तरह लागू करने के लिए आश्वासन चाहती हैं। लेकिन अगर इस पर कोई अमल नहीं हुआ तो मुफ्ती साहब दस माह तक क्या कर रहे थे, वह तो बताएं। जम्मू-कश्मीर राज्य के साथ भारत खेल रहा है। कभी केंद्र पीडीपी के पाले में गेंद फेंकता है तो कभी पीडीपी उसके पाले मे। लेकिन यह और कितनी देर चलेगा।’

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