रिसर्च के मुताबिक पिछले सौ सालों में वुमन को घर का सारा काम सम्भालना पड़ता था, जबकि मेन घर के बाहर का काम सम्भालते थे लेकिन बदलते वक्त की जरूरत को देखते हुए वुमन ने घर के बाहर का काम भी सम्भालना शुरू कर दिया जबकि बहुत कम मेन ही ऐसे हैं जो घर के कामों की रिस्पांसिबिलिटी लेते हैं. यानी रिसर्च की मानें तो वुमन की रिस्पांसिबिलिटी पहले से ज्यादा बढ़ गई है और इसीलिए उनकी आईक्यू भी पहले से ज्यादा बढ़ गई है.

दिल्ली में एक पीआर कंपनी में काम कर रहीं दीपिका का मानना है कि वर्किंग वुमन के पास वैरायटी टास्क ज्यादा हैं. वह कहती हैं, ‘देल्ही में डीटीसी बसों में वुमन कंडक्टर की बात हो या किसी मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर सीईओ काम रही ही वुमन की बात हो वह जितनी जिम्मेदारी से अपने प्रोफेशनल डेडलाइंस को पूरा करती हैं उतनी जिम्मेदारी से घर पहुंचकर फैमिली को भी सम्भालती हैं. सो वुमन को सक्सेसफुल मल्टीटास्कर कह सकते हैं.’

पीआर कम्पनी में ही काम कर रहे दीपिका के हसबैंड भी मानते हैं कि उनके बाहर के सभी काम में वाइफ मदद कर देती है लेकिन वह घर के सभी काम पूरी तरह से नहीं कर पाते.

पिछले सौ सालों में मॉडर्निटी और कॉम्प्लेक्स सोसाइटी को मेन और वुमेन दोनों के ब्रेन ने अडॉप्ट किया है और दोनों का आईक्यू लेवल भी तेजी से बढ़ा है लेकिन वुमेन का ब्रेन इस मामले में थोड़ा आगे निकल गया.-James Flynn, the world-renowned authority on IQ tests