नए मोड के निगेटिव सिचुएशन भी सामने आए

मार्च 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने भी लिव-इन-रिलेशन पर अपनी मुहर लगा दी। लेकिन रिलेशन के इस नए मोड के निगेटिव सिचुएशन भी सामने आए तो बहस शुरू हुई। पटनाइट्स यूथ इस रिलेशन को लेकर इजली एक्सेप्ट करने की कंडीशन में नहीं दिख रहे लेकिन कोई इससे इंकार नहीं कर रहा। लिव-इन की बहस में हर यूथ का अपना विजन और अपनी प्रॉब्लम।

Present society का बड़ा सच

लिव-इन सही या गलत है, इसी इश्यू पर कॉलेज स्टूडेंट्स के बीच ओपन डिबेट की शुरूआत की है यूजीसी ने। बुधवार को एमयू के टीपीएस कॉलेज और कॉलेज ऑफ कॉमर्स द्वारा यूजीसी स्पांसर्ड एक सेमिनार हुआ जिसमें स्टूडेंट्स और इंटेलेक्चुअल्स ने अपनी बातें रखीं। एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के ऑडिटोरियम में आयोजित सेमिनार में यह बात खुल कर सामने आई कि आज भले ही सोसाइटी लिव-इन को खुल कर मान्यता नहीं दे रही लेकिन यूथ धड़ल्ले से इसे अपना रहे हैं।

पहले live-in, फिर शादी

लिव-इन रिलेशन सोसाइटी का नया फार्मेट है जो मेट्रो कल्चर में सबसे अधिक डेवलप हुआ। यूथ जॉब या स्टडी करने बड़े शहरों में जाते हैं और अपने रिलेशन को ज्यादा वक्त देने के लिए लिव-इन का सेलेक्शन करते हैं। ज्यादातर मामलों में देखा जा रहा है कि लिव-इन में रहने वाले ज्यादातर कपल फाइनली अपने रिश्ते को शादी में कंवर्ट कर रहे हैं। ऐसे में आज के दौर में लिव-इन-रिलेशनशिप मैरेज इंस्टीट्यूशन में एंट्री के पहले का स्टेज साबित हो रहा है।

Successful tips for live-in relation from Julie  

लिव-इन रिलेशन के मामले में बड़े बॉलीवुड और हॉलीवुड के एक्टर्स की बात छोड़ें तो पटना में भी इसका एक हाई प्रोफाइल मामला सबके सामने है। पीयू में प्रोफसर डॉ। मटुकनाथ चौधरी और एक वक्त में उनकी ही स्टूडेंट जूली लिव-इन में हैं और इसे भरे समाज में स्वीकारते भी रहे हैं। इस बारे में जूली का कहना है कि कुछ रिश्ते जन्म लेते ही बन जाते हैं तो कुछ फैमिल मेंबर्स तय करते हैं। लेकिन लिव-इन एक ऐसा रिश्ता है जो दो एडल्ट खुद मिलकर तय करते हैं। ऐसे रिश्ते के सक्सेस या फेल्योर की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।

Self evaluation है जरूरी

लिव-इन का हर रिलेशन सक्सेसफुल हो जरूरी नहीं। क्योंकि यह इतना आसान नहीं। कई मुश्किलें हैं, जिसमें हर कपल की हैप्पी एंडिंग हो, मुमकिन नहीं। कई बार रिलेशन बीच में टूटता है, ऐसे में मुश्किलें कई गुना बढ़ सकती हैं। इस संबंध में जूली का कहना है कि यह जरूरी है कि यूथ ऐसे रिलेशनशिप में जाने के पहले हर लिहाज से अपना इवैल्यूशन कर लें। यूथ कब ऐसे रिलेशनशिप में जाएं इसके बारे में बताया लिव-इन में रह रहीं जूली ने :

* अपने पैरों पर खड़े यूथ ही ऐसे रिलेशनशिप में जाएं

* अगर आप रिलेशनशिप को कोई नाम देना चाहते हैं तो ऐसे रिलेशनशिप में ना जाएं

* बच्चों को जन्म देने के लिए नहीं बल्कि खुद को नया जन्म देने के लिए इस रिलेशनशिप में जाएं

* 'मैंने तुम्हारे लिए यह किया, और तुमने क्या किया' ऐसी सोच से ऊपर हों तो, आगे बढ़ें

* अगर आप अपनी और दूसरों के पर्सनल स्पेस की कद्र करते हों तो ही लिव-इन में जाएं

यूथ क्या सोचते हैं लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में:

घर से दूर रह कर पढ़ाई और फिर नौकरी करने वाले यूथ को साइकोलॉजिकल और इमोशनल सपोर्ट की जरुरत ज्यादा पड़ रही है। ऐसे सपोर्ट की तलाश में यूथ अपोजिट सेक्स की ओर भी अट्रैक्ट होते हैं। लेकिन ऐसे सभी रिश्ते लिव-इन में कनवर्ट नहीं होते। लिबरल थिकिंग के बावजूद वही यूथ लिव-इन में जाते हैं थोड़े दिनों बाद शादी कर लेने की प्लानिंग कर चुके होते हैं।

- श्रुति आर्याणी, एमबीए ग्रेजुएट

'डियन सोसाइटी आज भी मैरेज के पहले सेक्स को एक्सेप्ट नहीं करता है। जबकि लिव-इन में रहने वाले कपल के बीच फिजिकल रिलेशन भी डेवलप होना नेचुरल है। ऐसे में जरूरी है कि कपल लिव-इन में जाने के पहले रेशनल होकर सोच लें। ऐसा नहीं करने पर रिलेशनशिप टूटने के बाद उनके सामने, खासकर लड़कियों के सामने समाज में अनएक्सेप्टेबल होने का खतरा रहेगा।

- मोहम्मद मुर्तजा, रिसर्च स्कॉलर, पीयू

एक ओर लिव-इन में ट्रेडिशनल मैरेज के मुकाबले ज्यादा फ्रीडम मिलती है। मगर सच यह भी है कि आज भी सोसाइटी में इस तरह के रिलेशनशिप को निभाने में जिस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है वह इस फ्रीडम पर भारी पड़ती है। हमारा कल्चर भी लिव-इन को परमिट नहीं करता है। साथ ही इस रिलेशनशिप को लेकर पर्सनल और लीगल कॉम्प्लीकेशंस भी बहुत ज्यादा हैं।

- शांभवी मिश्रा, सीएनएलयू, पटना

दुनिया में हर देश में रिश्ते के टूटने के बाद ज्यादा प्रॉब्लम्स फीमेल को उठानी पड़ती है। साथ ही अभी कोर्ट ने यह साफ नहीं किया है कि अगर कोई नन-वर्किंग फीमेल रिलेशनशिप के दौरान मां बनती है और अगर रिश्ता टूट जाता है तो ब'चे और उसके अपने भरण-पोषण के लिए सपोर्ट मिलेगा कि नहीं। इन सब वजहों के कारण भी कई यूथ ऐसे रिलेशनशिप में नहीं जाते।

- कीर्ति, सेमिनार पार्टिसिपेंट

Current legal status of Live-in relationship

THE 'live- in-relationship' is a living arrangement in which an un-married couple lives together in a long-term relationship that resembles a marriage। The Hindu Marriage Act 1955 does not recognise 'live-in-relationship'। Nor does the Criminal Procedure Code 1973. The Protection of Women from Domestic Violence Act 2005 (PWDVA) on the other hand for the purpose of providing protection and maintenance to women says that an aggrieved live-in partner may be granted alimony under the Act। The Supreme Court of India has noted that just any 'live-in relationship' does not entitle a woman to alimony।