इटली के शहर फ़्लोरेंस में वैज्ञानिकों ने एक क़ब्र की खुदाई की है, जिससे ‘मोनालिसा’ के राज़ से पर्दा उठ सकता है.

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस क़ब्र से मशहूर चित्रकार  लियोनार्दो दा विंची की कृति  ‘मोनालिसा’ की प्रेरणा रही शख़्सियत का डीएनए मिल सकता है.

यह क़ब्र लिसा गेरार्दिनी परिवार से संबंधित है, जो एक सिल्क कारोबारी की पत्नी थी. माना जाता है कि उन्हें ही देखकर लियोनार्दो दा विंची ने वह मशहूर  चित्र बनाया था.

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि क़ब्र से मिलने वाले  डीएनए नमूने के ज़रिए पिछले साल एक आश्रम में मिले तीन कंकालों से उनकी पहचान करने में मदद मिलेगी. यह आश्रम इसी क़ब्र के नज़दीक है.

मशहूर तस्वीर ‘मोनालिसा’ में नज़र आने वाली महिला सदियों से वैज्ञानिकों और कला विशेषज्ञों के लिए पहेली रही है.

डीएनए हासिल करने के लिए वैज्ञानिकों ने सिल्क कारोबारी फ्रांसिस्को डेल जियोकॉन्डो के पारिवारिक शव कक्ष के ऊपर चर्च के फर्श में गोलाकार छेद किया है.

डीएनए होगा मददगार

फ़्लोरेंस की क़ब्र में 'मोनालिसा'?

लेखक और शोधकर्ता सिल्वानो विंसेटी इस डीएनए की तुलना संत उरज़ुला के आश्रम के पास दफ़नाई गई महिलाओं की हड्डियों से करना चाहते हैं. नन लिसा गेरार्दिनी की यहां 1542 में मौत हो गई थीं.

उम्मीद है कि कुछ हड्डियों का मिलान अगर कराया जाएगा तो उनके किसी रिश्तेदार से उसका मेल ज़रूर हो जाएगा और यह संभवतः उनके बेटे पियारो से मेल करेगा.

विंसेटी का कहना है, ''जब मां और बच्चे के बीच कोई एकरूपता का अंदाज़ा लगा लेंगे, तो हम मोनालिसा के बारे में भी पता लगा लेंगे.''

उन्होंने कहा कि एक बार डीएनए का मिलान हो जाएगा, तो गेरार्दिनी के चेहरे की छवि खोपड़ी से उकेरी जाएगी और उसकी तुलना पेंटिंग से की जाएगी.

लियोनार्दो दा विंची को यह मशहूर पेंटिंग बनाने में क़रीब 15 साल लगे थे. लियोनार्दो की मृत्यु के बाद यह  पेंटिंग फ्रांस के राजा के पास आ गई. यह पेंटिंग फिलहाल पेरिस के लूव्र म्यूज़ियम की शोभा बढ़ा रही है.

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