ऐसी है जानकारी
मंगलवार को इसी मामले पर हुई सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की उस नियम को लेकर खिंचाई की। इसमें कहा गया है कि डांस बार किसी भी शैक्षणिक संस्थान के एक किमी के दायरे में नहीं खुला होना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा है कि यह एक तरह से बार खोलने पर प्रतिबंध की तरह है। इस पर सरकार ने कहा कि वो इसकी समीक्षा करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा
इसके आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार डांस बार को खुलने से ना रोके, बल्कि अश्लीलता को रोकने के लिए नियम बनाए। न्यायालय का कहना है कि बार में डांस करना सड़क पर भीख मांगने से कई गुना बेहतर है। कोर्ट ने ये भी कहा कि डांस एक प्राफेशन है, अगर यह अश्लील है तो यह अपनी कानूनी पवित्रता भी खोता है। सरकार के नियंत्रक उपाय निषेधात्मक नहीं हो सकते।

ऐसा कहना है बेंच का
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस शिव कीर्ति सिंह की बेंच ने ये कहा कि डांस करके पैसा कमाना महिलाओं का संवैधानिक आधार है। ये भीख मांगने से काफी बेहतर है। ऐसे में इसको बंद करने से अच्छा है कि इससे अश्लीलता को दूर किया जाए। तभी ये अपने असली रूप में सबके सामने आ सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश देते हुए कि डांस बार के कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन कर एक हफ्ते में बार के लाइसेंस उनको दें।

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