नई दिल्ली (पीटीआई)। Muzaffarpur Shelter Home case मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस के मास्टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। ब्रजेश को शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न करने और मारपीट करने का दोषी माना गया था। एडीशनल सेशन जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने इस अपराध को वहशीपन करार दिया है। ब्रजेश के साथ अन्य 11 लोगों को भी इस मामले में उम्रकैद की सजा दी गई है। दिल्ली कार्ट ने ब्रजेश पर आजीवन कारावास के साथ-साथ 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। ब्रेजश को सजा देते हुए कोर्ट ने कहा, 'यह केस किसी व्यक्तिगत से नहीं जुड़ा है, बल्कि समाज में शेल्टर होम और बाल सुधार गृह के नाम पर बच्चों के साथ अपराध करने वालों के लिए यह एक सबक है।'

ब्रजेश के अलावा इन लोगों को भी मिली सजा

इस केस में कोर्ट ने ब्रजेश के अलावा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन दिलीप वर्मा, चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर रवि रोशन और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सदस्य विकास कुमार, गुड्डु विजय, कुमार तिवारी, गुड्डु पटेल, किशन कुमार व रामानुज ठाकुर को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनके अलावा तीन महिलाओं मीनू देवी, किरण कुमारी और शाहिस्ता परवीन को भी बालात्कर में दोषियों को साथ देने के लिए उम्रकैद की सजा दी गई है। इसके अलावा कोर्ट ने छह और लोगों को 10-10 साल की सजा दी है।

विधायकी का चुनाव लड़ चुका था ब्रजेश

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 जनवरी को ब्रजेश ठाकुर को दोषी माना था। बता दें ब्रजेश बिहार में बीपीपी पार्टी से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुका था मगर उसे हार मिली थी। कोर्ट ने ब्रजेश समेत 21 आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो, बलात्कार, आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं में आरोप तय किए थे जिन्हें मंगलवार को सजा सुनाई गई।

क्या था पूरा मामला

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस ने सिर्फ बिहार को नहीं बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 40 लड़कियों के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी। इन लड़कियों में काफी नाबालिग बच्ची भी थीं। मामला सामने आने के बाद इस केस की जांच हुई जिसमें पता चला कि यह शेल्टर होम ब्रजेश ठाकुर का था। इसके बाद ब्रजेश ठाकुर के अलावा शेल्टर होम के कर्मचारी और बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी आरोपी बनाए गए थे।

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