नई दिल्ली (एएनआई)। कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आज कुछ किसानों का मानना ​​​​है कि खेती रसायनों के बिना नहीं हो सकती है, लेकिन यह बिल्कुल गलत है। हमें प्राकृतिक खेती की प्राचीन परंपराओं को सीखना चाहिए जहां हम प्रकृति के साथ एक थे। प्राकृतिक खेती से भारत में 80 प्रतिशत छोटे किसानों को अधिकतम लाभ होगा, जिनके पास दो हेक्टेयर से कम भूमि है। उन्होंने कहा कि इन किसानों की स्थिति में बहुत सुधार हो सकता है यदि वे प्राकृतिक खेती की ओर मुड़ें और रासायनिक उर्वरकों पर पैसा खर्च करना कम करें।

हमें महात्मा गांधी जी के शब्दों को याद रखना चाहिए

महात्मा गांधी का हवाला देते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमें महात्मा गांधी जी के शब्दों को याद रखना चाहिए, जिन्होंने जहां शोषण होगा, वहन पोषण नहीं होगा का उल्लेख किया था। इसलिए, हम यहां अपने 'अन्नदाता' पर दशकों पुराने बोझ को कम करने के लिए हैं। उन्होंने कहा, "हमें खेती की मूल बातें फिर से सीखनी चाहिए और अपने नए तकनीकी नवाचारों के साथ इसे अपनाना चाहिए।" उन्होंने किसानों से पराली न जलाने की भी अपील की।

हमें खेती की तकनीक में होने वाली गलतियों से भी छुटकारा पाना

इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हमें खेती की तकनीक में होने वाली गलतियों से भी छुटकारा पाना है। विशेषज्ञों का कहना है कि खेत को जलाने से भूमि की उर्वरता का नुकसान होता है लेकिन पराली जलाने की परंपरा बन गई है।" प्राकृतिक और शून्य बजट खेती पर तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन 14 दिसंबर को शुरू हुआ और 16 दिसंबर को समाप्त हो रहा है ।

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