गोरखपुर (निखिल तिवारी)। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत एजुकेशन सिस्टम में कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। प्रोफेशनल कोर्सेंज को बढ़ावा देने के साथ ही स्टूडेंट्स की स्किल डेवलपमेंट पर काम हो रहा है। इसी से जुड़ी शिक्षा मंत्रालय की एक खास पहल के तहत दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में भारतीय ज्ञान, विज्ञान और जीवन परंपरा पर कोर्स शुरू होने जा रहा है। इसका मकसद स्टूडेंट्स को भारत की पुरानी शिक्षा प्रणाली और शिक्षाविदों के बारे में जानकारी देना और भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देना है।

एजुकेशन मिनिस्ट्री के साथ मीटिंग
इंडियन नॉलेज सिस्टम पर कोर्स शुरू करने के लिए बुधवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन और मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन के साथ मीटिंग ऑर्गनाइज हुई। इसमें विदेशी सिस्टम की जगह इंडियन नॉलेज सिस्टम पर जोर दिए जाने पर बात हुई और स्टूडेंट्स के बीच इंडियन नॉलेज को प्रमोट करने की योजना बनी।

इस तरह के होंगे कोर्स
वीसी प्रो। पूनम टंडन ने बताया कि इंडियन नॉलेज सिस्टम पर कोर्स लाने का मकसद है कि स्टूडेंट्स भारतीय ज्ञान परंपरा से रूबरू हों। यूनिवर्सिटी में अभी नाथपंथ पर एक माइनर कोर्स चल रहा है। मैथ्स के स्टूडेंट्स आर्यभट्ट के बारे में पढ़ें। वहीं, होटल मैनेजमेंट में भी इंडियन टच दिया जाए। आगे इसके तहत भारतीय वैदिक मैथ्स, भारतीय दर्शनशास्त्र, भारतीय संस्कृति और विज्ञान एवं भारतीय सौंदर्यशास्त्र, बुद्धीज्म से जुड़े कोर्स लाए जाएंगे। इसके लिए जल्द ही प्रपोजल बना लिया जाएगा। एजुकेशन मिनिस्ट्री से मीटिंग के बाद प्रारंभिक कदम उठाए जा रहे हैं। यह कदम संस्कृति के विकास और क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ाने की दृष्टि से उठाया गया है। उन्होंने बताया कि कोर्स शुरू करने से पहले सभी टीचर्स से आईडियाज लिए जाएंगे।

विदेशी स्टूडेंट्स को अट्रैक्शन
वीसी प्रो। पूनम ने बताया कि नाथपंथ पर चल रहे कोर्स को हम और एक्सप्लोर करेंगे। साथ ही बौद्ध धर्म पर भी एक कोर्स लेकर आएंगे। कुशीनगर महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली है। यहां पर चाइना, जापान, भूटान आदि देशों से टूरिस्ट काफी बड़ी संख्या में आते हैं। बुद्धीज्म पर कोर्स शुरू होने से इन देशों के स्टूडेंट्स अट्रैक्ट होंगे। विदेशी स्टूडेंट्स के आने से यूनिवर्सिटी को एनआईआरएफ रैंकिंग में भी फायदा मिलेगा।


यूनिवर्सिटी में इंडियन नॉलेज सिस्टम से जुड़े कोर्स लाने की तैयारी है। इससे भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा मिलेगा। कोर्स के लिए सभी फैकल्टी मेेंबर्स से सलाह ली जाएगी। इस तरह के कोर्स शुरू होने से विदेशी स्टूडेंट्स भी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेंगे।
प्रोफेसर पूनम टंडन, वीसी, डीडीयूजीयू

भारतीय ज्ञान, विज्ञान और जीवनदर्शन की परंपरा को प्रमोट करने के लिए हायर एजुकेशन में नए कोर्सेज लाने की तैयारी है। इसके तहत भारतीय चीजों को स्टूडेंट्स के बीच पॉप्युलर करना है। पहले फेज में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ऑर्गनाइज किए जा रहे हैं।
डॉक्टर रुचिका सिंह, कोऑर्डिनेटर, आईकेएस डिवीजन, मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन

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