प्रवासियों को भी समान महत्व

पता चला है इस अधिसूचना में कहा गया है कि देश में बच्चे को गोद लेने के लिए प्रवासियों को भी भारत के नागरिकों के समान ही महत्व और अधिकार दिए जाने चाहिए। आशा की जा रही है कि नए बदलाव लाल फीताशाही से बचने और गोद लेने के की प्रक्रिया में आसानी पैदा करने वाले साबित होंगे। नए र्निदेशों में  गोद देने वाली संस्थाओं और बच्चे को गोद लेने वाले अभिवावकों की योग्यता और क्षमता की जांच भी आसान बनाने की योजना है।

किशोर न्याय अधिनियम का है हिस्सा

ये नए परिर्वतन संसद में विचाराधीन किशोर न्याय अधिनियम में परिर्वतन बिल का ही हिस्सा बताए जा रहे हैं। ये अधिनियम अभी राज्यसभा के विचार के लिए प्रस्तुत किया गया है।  मेनका गांधी द्वारा इसे अगस्त माह में लोकसभा के समझ प्रस्तुत किए जाने की संभावना है। ये अधिनियम उसी स्थायी समिति द्वारा प्रस्तावित किया गया है जो किशोरों के लिए मानक आयु 18 वर्ष रखने की बात कह रही है। नया कानून किशोर न्याय बोर्ड को ये तय करने का अधिकार देगा कि वो 16 से 18 साल की उम्र के जघन्य अपराधियों के बारे में फैसला ले कि उन्हें जेल में उम्रकैद और मृत्युदण्ड सुना सकता है की नहीं।  

ऑनलाइन कर सकेंगे गोद लेने का आवेदन

नए परिवर्तनों में इस बात की व्यवस्था करने की बात कही गयी है कि गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किए जा सकें। इसमें दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण इंटरनेट पर गोद दिए जाने वाले बच्चों के लिए एक डाटाबेस बना कर उपलब्ध कराएगा। इससे गोद लेने के इच्छुक अभिवावक उम्र, भाषा और लिंग के आधर पर अपनी पसंद के बच्चे के लिए आवेदन कर सकेंगे।

अभिवाकों की उम्र होगी महत्वपूर्ण और एकल पुरुष को नहीं मिलेगी बेटी

इन नए निर्देशों की सबसे खास बाद गोद लेने के इच्छुक अभिवावकों की उम्र होगी। यानि नियम के अनुसार गोद लिए जाने वाले बच्चे और अभिवाकों की उम्र में कम से कम 25 साल का अंतर होना अनिवार्य होगा। इसके अलावा अगर चार साल या उससे कम उम्र का बच्चा कोई गोद लेना चाहता है तो उसकी उम्र किसी भी हाल में 45 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यदि पति पत्नी किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं तो उन्हें कम से कम एक साल तक प्रक्रिया पूरे करने का इंतजार करना होगा ताकि उनके विवाह के स्थायी होने जांच हो सके।

इसके अलावा अगर महिला एकल अभिवावक बन रही है तो वो लड़का या लड़की किसी भी बचचे को गोद ले सकती है लेकिन अगर पुरुष एकल अभिवावक है और बच्चा गोद लेना चाहता है तो उसे बेटी को गोद लेने का अधिकार नहीं है। ऐसा महिलायों के प्रति बढ़ते अपराधों को ध्यान में रख कर तय किया गया है।

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