एक नजर

350 है शहर में छोटे-बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स की संख्या

07 लाख करीब है एक एसटीपी लगवाने में आने वाली लागत

2019 दिसंबर तक लगाने का है आदेश

20 बेड तक ईटीपी और 50 बेड से ऊपर एसटीपी लगवाना होगा

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-सरकार ने जारी किया आदेश, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और एनजीटी करेगा मॉनीटरिंग

-हॉस्पिटल्स को भेजा जा रहा नोटिस, संचालकों ने दर्ज कराया विरोध

vineet.tiwari@inext.co.in

PRAYAGRAJ: शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल्स को एसटीपी्र (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) बनाना होगा, जिसके जरिए वह अपने सीवेज का ट्रीटमेंट कर सकेंगे। इतना ही नहीं छोटे नर्सिग होम्स को ईटीपी (इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) बनाने के आदेश दिए गए हैं। इन आदेशों को लेकर फिलहाल प्राइवेट हॉस्पिटल्स में हड़कंप मचा हुआ है। उनका कहना है कि पहले से बने हॉस्पिटल्स में प्लांट लगाने की जगह नहीं है। ऐसे में इस आदेश को फॉलो करना प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं है।

आदेश को लेकर सख्त है एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अपने रुख को लेकर स्पष्ट है। आदेश में कहा गया है कि हॉस्पिटल्स से निकलने वाला पानी भी बायो मेडिकल वेस्ट की कैटेगरी में आता है। अगर वहां फर्श पर पोंछा भी लग रहा है तो इस पानी का ट्रीटमेंट जरूरी है। यह सीवेज नालों से होकर सीधे नदियों में पहुंचता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। सरकार के आदेश की मॉनीटरिंग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी को करनी है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक 20 बेड से अधिक होने पर ईटीपी और 50 बेड से अधिक क्षमता होने पर हॉस्पिटल में एसटीपी का निर्माण कराना होगा।

हॉस्पिटल्स में तिल रखने की जगह नहीं

जानकारी के मुताबिक जिले में 350 से अधिक छोटे-बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स हैं। एक ओर उन पर एसटीपी और ईटीपी लगाने का दबाव बनाया जा रहा है तो दूसरी ओर वह इसका विरोध कर रहे हैं। इस मामले को लेकर प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और हॉस्पिटल संचालकों के बीच बैठक भी हो चुकी है। कुछ हॉस्पिटल्स को एसटीपी लगवाने के लिए नोटिस भी भेजा जा चुका है। संचालकों का कहना है कि उनका हॉस्पिटल कई साल पुराना है और अब वहां तिल रखने की जगह नहीं है। ऐसे में अतिरिक्त निर्माण संभव नहीं है।

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इधर आदेश, उधर कंपनियां एक्टिव

सरकार के इस आदेश के बाद देशभर की एसटीपी लगाने वाली कंपनियां एक्टिव हो गई हैं। हॉस्पिटल्स में जाकर उनको प्रोजेक्ट दिखाया जा रहा है। बता दें कि 50 बेड से अधिक क्षमता वाले हॉस्पिटल में एसटीपी लगवाने में 6 से 7 लाख रुपए का खर्च आता है। शहर के टैगोर टाउन स्थित ओझा हॉस्पिटल के संचालक डॉ। एलएस ओझा ने एसटीपी लगवाई है। हालांकि उनका हॉस्पिटल अंडर कंस्ट्रक्शन है। वह कहते हैं कि मेरे लिए संभव था, इसलिए बनवा लिया। लेकिन जिनका हॉस्पिटल पुराना है उनके लिए एसटीपी लगवाना बेहद मुश्किल साबित होगा। यह महंगा भी है।

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हाईकोर्ट में पड़ी है पीआईएल

उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट में बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण को लेकर एक पीआईएल भी दाखिल की जा चुकी है। इसमें कहा गया है कि शहर के क्लीनिक, पैथोलाजी और नर्सिग होम्स द्वारा वेस्टेज का सही निस्तारण करने की रूपरेखा तैयार की जानी चाहिए। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्राइवेट हेल्थ सेंटर्स को नियमानुसार बायो मेडिकल वेस्ट के प्रॉपर निस्तारण का दबाव बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने ईटीपी और एसटीपी का प्रोजेक्ट भी लागू कर दिया है।

वर्जन

हमारी ओर से प्राइवेट हॉस्पिटल्स को सरकार के आदेश की कॉपी भेज दी गई है। उनको ईटीपी और एसटीपी लगाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मानक को लेकर लगातार बात चल रही है।

-डॉ। वीके मिश्रा, नोडल बायोमेडिकल वेस्ट प्रोजेक्ट

आईएमए की ओर से देशभर में सरकार के इस आदेश का विरोध किया जा रहा है। बैठक में हमने अधिकारियों के सामने बात भी रखी है। पुराने हॉस्पिटल्स में एसटीपी या ईटीपी लगाने की जगह नहीं है। फिर सभी नियम केवल हॉस्पिटल्स के लिए ही क्यों बनाए जाते हैं।

-डॉ। राजेश मौर्या, सचिव, इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन