जाना मना

कैंट बोर्ड ने अपने भूतिया बंगले पर नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है। इस बंगले का नंबर 111 है, जो माल रोड पर स्थित है। इस बंगले के बारे में प्रसिद्ध है कि यहां भूतों का निवास हैं। अजीबोगरीब तरह की आवाजें आती हैं। इस लिए इस बंगले में कोई भी सामान्य आदमी रात में तो क्या दिन में भी जाने में भी घबराता है। खूबसूरत माल रोड के बीचोंबीच इस बंगले को हमेशा से ही कैंट बोर्ड और डिईओ की ओर से उपेक्षित नजरों से देखा गया है। न तो कभी वहां की लंबी-लंबी उगी हुई झाडिय़ों को काटा गया और न ही कभी इस बंगले के उद्धार के बारे में सोचा गया था।

अंग्रेज चलाते थे ब्रिगेड

अंग्रेजों ने 1857 की लड़ाई के कुछ दिनों के बाद रुढ़की के मथुरा प्रसाद जवाहर लाल से ये लैंड किराए पर ली थी। जहां उन्होंने अपना ब्रिगेड ऑफिस बनाया और 1947 तक इस ऑफिस सक्सेसफुली रन भी किया। देश की आजादी के बाद आर्मी ने अपना ऑफिस सरधना रोड पर शिफ्ट कर दिया। कैंट बोर्ड के अधिकारियों की माने तो ये एक ओल्ड ग्रांट बंगला है। जिसमें कैंट बोर्ड कोई प्लानिंग नहीं कर सकता। जब तक कैंट बोर्ड इसे रिज्यूम नहीं कर लेता तब तक कुछ भी नहीं हो सकता। कैंट बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार इस लैंड का एरिया तीन एकड़ के आसपास है। जो पूरी तरह से वीरान है।

होती इललीगल एक्टीविजीट

आर्मी और कैंट बोर्ड ऑफिशियल के घरों के बीचोंबीच इस बंगले का होना किसी खतरे से कम नहीं है। जानकारी के अनुसार इस बंगले के वीरान होने के बाद इललीगल एक्टीविटीज करने वालों का आना जाना रहा है। किसी भी वारदात को अंजाम देने के बाद यहां छुपना काफी आसान है। क्योंकि यहां आम आदमी तो दूर की पुलिस ऑफिशियल भी नहीं आते हैं। कई बार कुछ लोगों द्वारा खाने के सामान और कोल्ड ड्रिंक्स की बोटल भी देखी है। जिससे साफ होता है कि क्रिमीनल्स ये एक बहुत बड़े अड्डे के रूप में भी डेवलप हो चुका है। इस कारण से भी कैंट बोर्ड ने यहां नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है।

'यहां असामाजिक तत्वों की एंट्री ज्यादा बढ़ गई थी। सुरक्षा की दृष्टि से भी यहां बोर्ड ज्यादा जरूरी हो गया था। इसलिए ये कार्रवाई की गई है.'

- एमए जफर, पीआरओ, कैंट बोर्ड