मस्जिद और ईदगाह के बाहर रहा सख्त पहरा, घरों में अता की गयी ईद की नमाज

लॉकडाउन के चलते इस बार ईद उल फितर का जश्न फीका रहा। फीका इस सेंस में कि लोगों ने खुशियां बांटने के लिए एक-दूसरे के घर जाने से परहेज किया। सेवई को टेस्ट करने भी एक-दूसरे के घर लोग गिनती के भी नहीं पहुंचे। मस्जिद और ईदगाह के बाहर पुलिस का सख्त पहरा रहा। लोगों ने घरों में ही नमाज अता की। रिश्तेदारों को फोन से या वीडियो कालिंग कर ईद की बधाइयां दीं।

घरों में अता हुई ईद पर नमाज

इस बार शहर काजी की अपील के बाद सिटी में चल रहे लॉकडाउन को देखते हुए लोगों ने अपने घरों में ही ईद पर नफिल की नमाज अता की। नमाज के बाद खुदा से मुल्क में शांति और अमन की दुआ के साथ ही कोरोना महामारी के जल्द खत्म होने दुआ मांगी। घरों की छतों पर नमाज के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो की गयी। इसके बाद आदाब करके पर्व की बधाई दी गयी। वैसे कुछ लोग इससे परे भी रहे। वे बिना मास्क के घरों से बाहर निकले। सड़क पर मिले लोगों को गले लगाकर पर्व की बधाई दी।

ऐसी ईद की नहीं की थी उम्मीद

लताफत हुसैन बताते हैं कि उन्होंने हमेशा से ही ईद में भाईचारे का संदेश देते लोगों को गले मिलते देखा है। लेकिन ऐसी उम्मीद जब कोई चाहकर भी महामारी के डर के कारण गले नहीं लगा रहा। सिर्फ आदाब कहकर ईद की बधाई दे रहे है। अफरोज बेगम कहती है कि ईद पर पूरे दिन लोगों के आने का सिलसिला लगा रहता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं रहा।

ऐसी ईद की कल्पना कभी सपने में भी नहीं की थी। पूरी जिंदगी लोगों को ईद पर एक दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद देते ही देखा, पर महामारी ने ऐसी ईद दिखा दी। जिसके बारे में कभी किसी ने नहीं सोचा था।

लताफत हुसैन

ईद का दिन ऐसा होता था, जब सुबह नमाज के बाद से ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता था। महामारी के कारण इस बार ईद पर घर पर मिलने के लिए कोई आया ही नहीं।

अफरोज बेगम

ईद पर दोस्तों के घर जाने को लेकर हमेशा खुशी रहती थी। कोरोना वायरस की वजह से फोन व सोशल साइट्स के जरिए मुबारकबाद दी। इस बार ईद पर काफी खाली-खाली सी लगी।

ऐमन फात्मा