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JAMSHEDPUR: लौहनगरी में चल रहे 90 फीसदी स्कूलों में ग्राउंड नहीं है। इससे इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आउटडोर गेम से दूर होते जा रहे हैं। शिक्षा विभाग ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और गली-मोहल्लों में चल रहे स्कूलों की कुंडली तैयार कर रहा है। जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय ने बच्चों के बचपन को छीनने वाले स्कूलों की लिस्ट बनानी शुरू कर दी है। जमशेदपुर में छोटे और बड़े मिलाकर 500 से ज्यादा स्कूल हैं। शिक्षा विभाग के मुताबिक शहर के गवर्नमेंट और प्राइवेट स्कूलों को मिलाकर करीब 400 विद्यालयों में छात्रों के लिए खेलने का मैदान नहीं है। जबकि स्कूल की मान्यता देने की पहली शर्त खेल का मैदान होना आवश्यक है। इसके बाद भी स्कूल संचालक तिकड़म कर मान्यता प्राप्त कर लेते हैं

सुरक्षा से हो रहा खिलवाड़

शहर की गलियों और मोहल्लों में संचालित हो रहे स्कूल किसी दिन भी छात्रों की मौत का सबब बन सकते हैं। तीन से चार खंड में बने स्कूल में इमरजेंसी डोर, अग्निशमन यंत्र और हाइड्रेंट की सुविधा भी नहीं है। इतना ही नहीं गलियों में होने के कारण दमकल के आने में भी होगी। शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूल जहां पर खेल का मैदान नहीं है या छात्रों की सुरक्षा का खतरा हो इनका संचालन रोकेगा।

बाउंड्री में कैद बचपन

स्कूलों में खेल का मैदान नहीं होने से छतों पर खेलते हैं। इतना ही नहीं कोई भी बड़े कार्यक्रम के लिए बाहर ही आयोजन करना पड़ता है। मैदान नहीं होने से बच्चों का बचपन खराब हो रहा है। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक आउट डोर गेम से बच्चों का सम्पूर्ण शारीरिक विकास होता है। जिसको देखते हुए सरकार ने स्कूल की मान्यता के समय खेल के मैदान होना अनिवार्य किया गया है। स्कूल संचालक बिना मैदान के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

शहर में संचालित होने वाले प्राइवेट स्कूल, जिनका संचालन संकरी गलियों-मोहल्लों में हो रहा है। उनके लिए मैदान की अनिवार्यता है। अगर कोई भी स्कूल इस नियम का पालन नहीं कर रहा है तो उस स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ एक्शन होगा। शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों की सूची मांगी है। छात्रों की सुरक्षा से कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। ऐसे स्कूलों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

शिवेंद्र कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जमशेदपुर