मोटर व्हीकल एक्ट के तहत बने नियमों को लेकर स्कूल संचालकों ने लिया फैसला

सीबीएसई और आरटीई एक्ट को लेकर जाएंगे हाईकोर्ट

Meerut . सीबीएसई स्कूल्स अब बच्चों को स्कूली वाहनों की सुविधा नहीं देंगे. पेरेंट्स को खुद ही अपने बच्चों के लिए इसकी व्यवस्था करनी होगी. थर्सडे को होटल कंट्री इन में कांफिड्रेशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल और सहोदय स्कूलों की बैठक में ये निर्णय लिया गया. मोटर व्हीकल एक्ट में हुए बदलाव और सीबीएसई के नियमों और आरटीई जैसे एजेंडों पर बैठक में कई फैसले लिए गए .

महंगा होगा ट्रांसपोर्टेशन

बैठक में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत दिए गए नियमों पर विचार किया गया. इस दौरान स्कूल संचालकों ने कहा कि इन नियमों को पूरा करने में ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा डबल-ट्रिपल हो जाएगा. इतने मोटे खर्च को स्कूल वहन नहीं कर सकते और अगर पेरेंट्स पर इसका भार डाला जाता है तो वह इसे वहन नहीं कर पाएंगे. ऐसे में स्कूलों के लिए ट्रांसपोर्टेशन कंटीन्यू करना मुश्किल होगा. हालांकि, इस फैसले से मेरठ में करीब 1 लाख से ज्यादा स्कूली बच्चे प्रभावित होंगे.

हाईकोर्ट जाएंगे स्कूल

यूपी राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत प्राइवेट स्कूलों ने हाईकोर्ट में केस दायर करने का फैसला लिया है. इस संबंध में सहोदय अध्यक्ष राहुल केसरवानी ने बताया कि पहले यूपी सरकार स्कूल की फीस या प्रति बच्चा सरकारी खर्च में जो भी कम होता था वह स्कूल को प्रोवाइड कराती थी. लेकिन अब यूपी सरकार 54 सौ रूपये दे रही है. 25 प्रतिशत सीट्स आरटीई के लिए रिजर्व हैं. ऐसे में स्कूल खर्च वहन करने में असमर्थ हो रहे हैं.

सीबीएसई के नियमों के खिलाफ

सीबीएसई की ओर से दिए गए बीएसए से मान्यता लेने के नियम के खिलाफ भी स्कूल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इसके तहत बोर्ड की ओर से बीएसए से मान्यता लेना जरूरी कर दिया गया है जबकि कई जगहों के बीएसए को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं हैं. ऐसे में स्कूल सिर्फ सीबीएसई और बीएसए के बीच फुटबॉल बनकर रह गए हैं.