-अमित शाह की टिप्पणी के बाद बयानवीरों की बोलती बंद

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क्कन्ञ्जहृन्: बिहार विधानसभा का अगला चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की इसी पंक्ति से नेतृत्व के सवाल पर करीब तीन महीने से जारी विवाद लगभग खत्म हो गया। शाह ने एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में यह भी कहा कि बिहार में एनडीए अटल है। इसके जरिए उन्होंने इन कयासों पर विराम लगा दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि चुनाव से पहले भाजपा-जदयू में अलगाव हो जाएगा। संयोग से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गुरुवार की सभी चुनावी सभाओं में कहा कि एनडीए अटूट और एकजुट है।

असल में भाजपा के भीतर ही इस सवाल पर दुविधा की स्थिति बन गई थी। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अकेले ऐसे थे, जिन्होंने हर बार कहा कि राज्य एनडीए में चुनावी चेहरे को लेकर कोई संशय नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही चेहरा हैं। जबकि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य डा। सीपी ठाकुर के साथ विधान पार्षद संजय पासवान कह रहे थे कि विधानसभा चुनाव के समय एनडीए का कौन चेहरा होगा, यह तय नहीं हुआ है। कुछ विधायक भी इस बहस में कूद पड़े थे। बीच में राज्यसभा सदस्य डा। सुब्रहमण्यम स्वामी ने यह कह कर दोनों दलों के रिश्ते को असहज कर दिया कि बिहार में जदयू खुद को छोटे भाई की तरह समझे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी भाजपा के दूसरी-तीसरी कतार के नेताओं पर टिप्पणी नहीं की। लेकिन, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने जरूर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के सामने आपत्ति दर्ज कराई। त्यागी बार-बार कहते रहे कि शीर्ष नेतृत्व उन नेताओं को बयान देने से रोके, जिनसे गठबंधन असहज हो रहा है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नडडा ने गिरिराज पर पाबंदी लगाई।