-कांग्रेस प्रत्याशी की पत्‍‌नी ने अंतिम दिन कांग्रेस के ही टिकट पर भरा पर्चा

-2007 के विधानसभा चुनाव में भी पति के खिलाफ पर्चा भरा था पत्‍‌नी ने, बाद में ले लिया था वापस

<-कांग्रेस प्रत्याशी की पत्‍‌नी ने अंतिम दिन कांग्रेस के ही टिकट पर भरा पर्चा

-ख्007 के विधानसभा चुनाव में भी पति के खिलाफ पर्चा भरा था पत्‍‌नी ने, बाद में ले लिया था वापस

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: ये टोटका है या मजबूरी में उठाया गया कदम? पत्‍‌नी को अपने भाग्योदय का कारण मानते हैं या फिर अपना पर्चा खारिज हो जाने के भय से पत्‍‌नी को मैदान में उतार दिया। इन सवालों के जवाब तो प्रत्याशी की बेहतर दे सकेंगे। लेकिन, हंसते-मुस्कुराते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचने के बाद पत्‍‌नी के भी नामांकन दाखिल कर देने से चर्चाओं का बाजार गरम हो उठा। आम तौर पर दोनों किसी भी मंच पर एक साथ होते हैं। कलेक्ट्रेट पहुंचे तो नंदी के साथ में प्रति शपथ पत्र था। इसे उन्हें दाखिल करना था। उनके गले में पार्टी के झंडे वाली पट्टी थी। पत्‍‌नी बिल्कुल सिंपल साड़ी में थीं। दोनों की गपशप भी पब्लिक ने देखी। इसके बाद पता चला कि पत्‍‌नी भी नामांकन दाखिल कर रही हैं तो सब चौंक गए। ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि पत्‍‌नी ने भी खुद को कांग्रेस का प्रत्याशी बताया है।

पहले भी करा चुकी हैं नामांकन

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। ख्007 के विधानसभा चुनाव के दौरान शहर दक्षिणी से नंदी द्वारा पर्चा दाखिल करने के बाद अभिलाषा ने भी नामांकन कराया था। बाद में उन्होंने इसे कैंसिल भी करा दिया था। इस चुनाव में नंदी को जीत हासिल हुई थी। ख्0क्ख् के विधानसभा चुनाव में इसे दोहराया नहीं जा सका। नंदी कहते हैं कि अभिलाषा ने पर्चा नहीं भरा था, इसी के चलते जीत उनके हाथ आते-आते रह गई। बता दें कि बेहद नजदीकी मुकाबले में वह विधानसभा का चुनाव हारे थे। नंदी की मानें तो पत्‍‌नी अभिलाषा उनके लिए हमेशा से सौभाग्यशाली रही हैं

प्रशासन की कार्रवाई से घबरा गए हैं?

नंदी भले ही जो कुछ भी कहें लेकिन चर्चा यह रही कि अपने खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई से नंदी घबरा गए हैं। उनके खिलाफ मनीआर्डर के जरिए वोटरों को पैसे बांटने की शिकायत चुनाव आयोग से हुई है। बगैर परमिशन वाहन लेकर चलते पर दो बार कार्रवाई हो चुकी है। इसके अलावा भी आचार संहिता उल्लंघन के कई मुकदमे उनके खिलाफ दर्ज हो चुके हैं। नंदी का कहना है कि सपा सरकार के इशारे पर प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। लेकिन, यह भी कहते हैं कि इससे उनके नामांकन पर भी आंच आ सकती है। ऐसा हुआ तो पत्‍‌नी अभिलाषा कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगी।

एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश

यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि नंदी खुद ही अपना नामांकन वापस लेकर अभिलाषा को चुनाव लड़ा सकते हैं। इससे उनको कई फायदे होंगे। पहला यह कि अभिलाषा मेयर हैं और उन्हें जनसमर्थन प्राप्त है। दूसरा यह कि इलाहाबाद सीट से अकेली महिला प्रत्याशी बसपा से केशरी देवी पटेल हैं और अभिलाषा उन्हें टक्कर दे सकती हैं। तीसरा कि अभिलाषा के चुनाव लड़ने से व्यापारी वर्ग के साथ-साथ ब्राम्हण वोट का बल भी मिल सकता है। बता दें कि अभिलाषा खुद ब्राम्हण परिवार से हैं।