मंगलवार को पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायलय के आदेश पर प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी की अयोग्यता की अधिसूचना जारी की थी। सत्ताधारी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने कहा है कि प्रधानमंत्री के हट जाने से मंत्रिमंडल भी भंग हो गया है।

पीपुल्स पार्टी के महासचिव जहाँगीर बदर और सूचना सचिव कमर ज़मान कायरा ने अदालती फैसले के बाद एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी अपने सहयोगी दलों से सलाह के बाद रणनीति बनाएगी।

जहाँगीर बदर ने कहा, “फैसले के तुरंत बाद पार्टी के सह-अध्यक्ष और राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई, जिसमें आसिफ अली ज़रदारी पर पूरा विश्वास किया गया और बताया गया कि वे जो भी फैसला लेंगे, पार्टी को स्वीकार होगा.” जब उनसे पूछा गया कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा तो उन्होंने जवाब दिया कि बुधवार को पार्टी की अहम बैठक में इस का फैसला लिया जाएगा।

अयोग्य करार

ग़ौरतलब है कि 16 जनवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टचार के मामलों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी कर दिया था और उन्हें 19 जनवरी को पेश होने का आदेश दिया था।

उसके बाद अदालत ने प्रधानमंत्री गिलानी को दोषी करार दिया था और उन्हें सजा सुना दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय ऐसेंबली की अध्यक्ष फहमीदा मिर्जा को प्रधानमंत्री गिलानी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी लिखा था लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी थी।

सु्प्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अदालत की अवमानना के आरोप में उन्हें अयोग्य क़रार दिया था। चुनाव आयोग की ओर से जानी अधिसूचना के मुताबिक़ यूसुफ़ रज़ा गिलानी को सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के प्रकाश में 26 अप्रैल 2012 को अयोग्य क़रार दिया गया है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि यूसुफ़ रज़ा गिलानी संसद के निचले सदन राष्ट्रीय ऐसेंबली के सदस्य भी नहीं रहे हैं।

ग़ौरतलब है कि वर्ष 2008 में हुए आम चवानों में यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने राष्ट्रीय ऐसेंबली के चुनावी क्षेत्र एनए 151 मुल्तान 4 में चुनाव लड़ा था और विजय घोषित हुए थे। मुख्य न्यायधीश जस्टिस इफ्तिख़ार चौधरी की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मंगलवार को प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी को अयोग्य क़रार दिया था।

उन पर आरोप था कि उन्होंने राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ दायर भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र नहीं लिखा था और अदालत ने 26 अप्रैल 2012 को इस संबंध में उन्हें अदालत की अवमानना को दोषी क़रार दिया था।

सोमवार को अदालत में अपने ताज़ा फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय खंडपीठ ने 26 अप्रैल को जो फैसला दिया था, उसी दिन से यूसुफ़ रज़ा गिलानी संसद के सदस्य नहीं रहे हैं। अदालत के मुताबिक़ वे उसी दिन से देश प्रधानमंत्री भी नहीं रहे और यह पद उसी दिन से ख़ाली समझा जाए। उसके बाद अदालत ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह इस संबंध तुरंत अधिसूचना जारी करे।

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