नई दिल्ली (आईएएनएस)। अनुभवी भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल ने सोमवार को एक बड़ा खुलासा किया। पार्थिव का कहना है उनके हाथ में सिर्फ 9 अंगुलियां हैं और सालों से वह ऐसे ही मैच खेल रहे। कॉउ कार्नर क्रोनिकल्स नाम की एक सीरीज में पार्थिव कहते हैं, जब वह छह साल के थे, तब उनकी छोटी उंगली दरवाजे के बीच आकर कट गई थी। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और क्रिकेटर बनने का न सिर्फ सपना देखा बल्कि इसे पूरा भी किया। बता दें धोनी के आने से पहले पार्थिव पटेल ही भारत के लिए विकेटकीपिंग करते थे मगर माही के आने के बाद पार्थिव की जगह खतरे में पड़ गई और धीरे-धीरे वह टीम से बाहर हो गए।

मुश्किल आती थी विकेटकीपिंग में

35 साल के हो चुके पार्थिव ने 17 साल की उम्र में टीम इंडिया में इंट्री ली थी। उन्हें बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज टीम में शामिल किया गया था। जब हाथ में एक उंगली कटी हो तो विकेटकीपिंग आसान नहीं होती। पार्थिव कहते हैं, 'यह थोड़ा मुश्किल है क्योंकि अंतिम उंगली विकेट कीपिंग ग्लव्स में फिट नहीं होती थी। इसलिए मैं इसे ग्लव्स को टेप करता हूं ताकि यह जुड़ी रहे। मुझे नहीं पता कि यह कैसे होता अगर मेरे पास सभी उंगलियां होतीं, लेकिन जब मैं पीछे देखता हूं, तो भारत का प्रतिनिधित्व करना अच्छा लगता है।'

डेब्यू टेस्ट में रचा था इतिहास

पार्थिव ने भारत के लिए बहुत कम उम्र में खेलना शुरु कर दिया था। क्रिकइन्फो पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, पटेल ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला मैच 2002 में रात्रा के घायल हो जाने पर इंग्लैंड के विरुद्घ नॉटिंघम में खेला। पार्थिव ने जब यह मैच खेला, तब उनकी उम्र 17 साल 152 दिन थी। वह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे युवा विकेटकीपर बन चुके थे, उन्होंने पाकिस्तान के हनीफ मोहम्मद के पिछले कीर्तिमान को पीछे छोड़ दिया (जो 1952 से 17 वर्ष और 300 दिन की आयु पर उनके नाम पर था), हालांकि अब तक वे किसी प्रथम श्रेणी घरेलू क्रिकेट में नहीं खेले थे। पहली पारी में वह शून्य पर आउट हो गए थे लेकिन अंतिम दिन उन्होंने एक घंटे से भी अधिक समय तक बल्लेबाजी की थी और मैच ड्रा कराया था।

ऐसा रहा है इंटरनेशनल करियर

पार्थिव ने 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ क्वींसटाउन में पहला वनडे खेला था। तब से लेकर अब तक 16 साल बीत गए मगर पार्थिव को सिर्फ 38 वनडे मैचों में मौका मिला। जिसमें उन्होंने 23.74 की एवरेज से 736 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से कोई शतक तो नहीं निकला मगर चार हॉफसेंचुरी जरूर लगा गए। फिलहाल पार्थिव आठ साल से वनडे से भी बाहर हैं।

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