निगम के दावे पानी में डूब गएए!

- नगर निगम फिर हुआ टांय-टायं फिस, पूरे शहर में लगा बारिश का पानी

- जानलेवा बनी एक्जीबिशन रोड व बेली रोड के पास के गड्ढे

- जनता के पास एक ही है सवाल, आखिर क्यों होता है जलजमाव

PATNA: पटना के लोग हर साल बारिश में डूबते हैं। कभी बच्चे डूबते हैं तो कभी महिलाएं। मेन होल खुले हैं और लोगों को वेलकम करते हैं आइए डूबिए दो दिनों की बारिश में ही निगम के सभी दावे पानी में मिल गए। पटना जंक्शन के पास वीणा सिनेमा के सामने चिड़ैयाटांड से लेकर स्टेशन, गोलंबर, कंकड़बाग, राजेन्द्र नगर, कांग्रेस मैदान, मोइनुलहक स्टेडियम, अशोक नगर, एक्जीविशन रोड, भट्टाचार्या रोड, लोयला स्कूल के सामने, पुलिस कॉलोनी में पानी लबालब भरा है। एक्जीबिशन रोड और बेली रोड शेखपुरा मोड़ के पास के गड्ढे जानलेवा बनी हुई है। पानी की वजह से ये गड्ढे नहीं दिख रहे नतीजा कब कौन बाइक से गिर जाए और हड्डियां टूट जाए किसी को नहीं पता। राजेन्द्र नगर, आशियाना नगर के कई घरों में भी पानी घुस गया है। लोगों को रात में नींद नहीं आती की कहीं पानी के साथ ड्रेनेज की गंदगी, कीड़े-मकोड़े और सांप कहीं घर में न घुस जाए।

हर साल रहता है ऐसा नजारा

बरसात में पटना की हालत ऐसी पहली बार नहीं हुई है हर साल का यही नजारा रहता है। बारिश का पानी हर बार पटना को पानी-पानी करता है। यहां राजधानी में सरकार बैठती है, अरबन डिपार्टमेंट के बड़े-बड़े अफसर बैठते हैं, जहां निगम हैं यानी इतनी बड़ी व्यवस्था काम करती है वहां हर बार पानी उन्हें हरा देता है।

वादे व दावों पर फिरा पानी

हर साल निगम द्वारा ये बातें कही जाती है कि इस बार पटनाइट्स बारिश की पानी में नहीं डूबेंगे। न जाने इसके लिए कितने दावे व वादे किए जाते हैं जो बारिश होने पर सब पर पानी फिर जाता है। निगम को कम से कम इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि जिस एरिया में पानी भर जाता है वहां कम से कम मेनहोल का ढक्कन हुआ हो। निगम मुख्यालय ने सभी अंचलों को कैचपिट और मेनहोल ढ़ंकने के लिए पांच-पांच लाख रुपए दिए हैं। यही नहीं नूतन राजधानी को क्भ् लाख, बांकीपुर व कंकड़बाग को क्0-क्0 लाख एवं पटना सिटी अंचल को भ् लाख रुपए अलग से दिए गए हैं।

पानी हटाना एजेंडे में नहीं

जेडीयू ने अपने सबसे पहले घोषणा पत्र में कहा था कि पांच साल में पूरे बिहार को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा दिया जाएगा। ये सपना रह गया। जब इस सूबे की सत्ता शुद्ध पेयजल सभी लोगों को उपलब्ध नहीं करा पायी तो बाकी सुविधाएं कैसे पूरी होंगी? हां राजधानी में लगभग अरबों की लागत से कई बिल्डिंग जरूर बन रहे हैं। बिहार म्यूजियम, विधान मंडल का विस्तारित भवन, नियोजन भवन, पुलिस भवन आदि। आपके लिए स्टेशन चौक के कोलाहल के बीच ध्यान लगाने की व्यवस्था बुद्ध स्मृति पार्क में है, लेकिन सड़क पर सुरक्षित चलने के लिए व बेहतर जल निकासी की व्यवस्था नहीं है। ये अब राजनीतिक संकल्प शक्ति का मामला दिखता है कि इस प्रॉब्लम को लेकर राजनीति में कितनी बेचैनी है।

जलजमाव से सरकार हार जा रही

क्भ् सालों में नीतीश सरकार की कमजोर संकल्प शक्ति का ही प्रमाण है कि हर बार जल जमाव से सरकार हार जा रही है। निगम की हालत तो ऐसी है कि कुर्सी बचाने के नाम पर न जाने कितने खर्च कर दिए गए जाते हैं। निगम कमिश्नर कुलदीप नारायण ने तेजी दिखाई तो वे हटा दिए गए। कोर्ट द्वारा हर बार जल जमाव को लेकर निगम को फटकार लगाया जाता है। इस बार भी कोर्ट अपना तेवर दिखाएगा। अफसर भी कोर्ट को आश्वस्त करेंगे। चीफ सेक्रेटरी से लेकर बाकी सारे अफसर कहेंगे इतने दिन में पानी निकल जाएगा। लोग जब वायदों से छले जाने लगे तो छत पर कमरे बना लिए कि बारिश में ऊपर ही रहने चले जाएंगे। कुछ ने घरों को जैक से ऊपर उठा लिया। ज्यादातर ने घरों के आगे छोटी दीवारें उठा लीं। जो ये नहीं कर सके वे निश्िचत थे कि पानी फिर आएगा और चौकी के ऊपर खाना बनाएंगे। वहीं जब अफसरों से बात करेंगें तो वे कहेंगे जल जमाव उस एरिया में है जो काफी नीचे है।

जलजमाव और कुर्सी का खेल

पटना पानी-पानी हो गया और दूसरी तरफ नगर निगम में मेयर को हटाने की कार्रवाई तेज है। मेयर के काम काज का रवैया कैसा है ये अलग विषय है। सवाल ये है कि पटना में ना तो बेहतर कचरा प्रबंधन है और ना ही बेहतर जल निकासी प्रबंधन। बस केवल बातें लंबी-लंबी और वायदे चौड़े-चौड़े होते हैं। कई बार जब कचरा प्रबंधन या जल निकासी को लेकर बात होती है तब मंत्री जी ये भी गिनाने लगते हैं कि ज्यादा समय तो बीजेपी वाले ही रहे अरबन डिपार्टमेंट में। मंत्री जी सीएम तो इधर क्भ् वर्षो में ज्यादातर समय नीतीश कुमार ही रहे। ये क्यों भूल जाते हैं। जल जमाव तो जनता के लिए है जो वोट देता है, वोट लेने वालों के लिए नहीं!

बारिश होगी तो जलजमाव होगा ही

पटना नगर निगम के मेयर अफजल इमाम ने कहा कि सभी संप हाउस चालू हैं, मोटर भी चल रहे हैं। मैं बता दूं कि स्टेशन रोड, डाकबंगला जैसे एरिया के लिए कुछ योजनाएं हैं जो पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे एरिया जहां जल जमाव ज्यादा समय के लिए रहता है वो है पोस्टर पार्क व अशोक नगर जैसे इलाके। यहां ज्यादा पॉवर के मोटर लगाए गए हैं। पटना के कुछ इलाके अनप्लांड बसे हुए हैं। इसका असर जल निकासी पर पड़ता है। भारी बारिश होगी तो जल जमाव होगा ही।

अरबन डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अमृतलाल मीणा से बातचीत:

दो दिनों की बारिश में ही पटना पानी-पानी हो गया। पिछले बार इतनी हाय तौबा मची, फिर से जलजमाव क्यों?

- हमारे जितने संप हाउस हैं चालू हैं। जल जमाव की स्थिति नॉर्मल हो गई है।

कई इलाकों में अभी भी पानी जमा है। पोस्टल पार्क,अशोक नगर जैसे कई इलाके इसमें शामिल हैं?

-पटना के कई इलाके में स्ट्रक्चरल डिफेक्ट है। पोस्टल पार्क व अशोक नगर ऐसे ही एरिया में आता है। ऐसे एरिया से भी जल्द से जल्द पानी निकालने का प्रबंध है। अशोक नगर में संप हाउस के लिए सात करोड़ रुपए चुनाव के बाद मंजूर किए जाएंगे।

दो दिनों में ये हाल है। मॉनसून ने ज्यादा दरियादिली दिखाई और कई दिनों तक बारिश होती रही तब क्या होगा?

- पानी निकालने की कैपेसिटी डबल कर दी गई है। ख्800 एचपी के नए पंप लगाए गए हैं। पहाड़ी व योगीपुर में भी बड़े प्रयास हुए हैं। जहां प्रति सेकेंड क्क्00 लीटर पानी प्रति सेकेंड निकाला जाता था वहीं अब ख्ख्00 लीटर पानी प्रति सेकेंड निकाला जा रहा है। यानी पानी निकालने की रफ्तार दुगनी कर दी गई है।

जल जमाव से कई एरिया के लोग काफी परेशान हैं। क्या करें?

- लोग सिटी नगर सेवा के नंबर पर फोन करें। ख्ब् घंटे के अंदर कार्रवाई होगी। ये नंबर है- फ्90भ्भ्भ्भ्।