2012 में खोजी थी हिग्स बोसान की थ्योरी
86 साल के महान साइंटिस्ट पीटर हिग्स को रॉयल सोसाइटी की तरफ से कोपले मेडल दिया गया है। नोबल प्राइज विजेता पीटर ने 2012 में हिग्स बोसान की थ्योरी निकालकर फिजिक्स के क्षेत्र में क्रांति ला दी। पार्टिकल फिजिक्स में फंडामेटल पर वर्क करते हुए पीटर ने हिग्स बोसान की थ्योरी को जन्म दिया। इसके मुताबिक, किसी भी मॉस का ओरिजन एलिमेंट्री पार्टिकल में होता है। पीटर ने एक लार्ज हॉर्डन कोलाइडर के जरिए इसका एक्सपेरिमेंट करके भी दिखाया।

1731 में दिया गया था पहला अवार्ड
रॉयल सोसाइटी की तरफ से पहला कोपले मेडल 1731 में दिया गया था। जोकि नोबल प्राइज से भी 170 साल पुराना है। यह अवार्ड साइंटिफिक रिसर्च में अतुलनीय योगदान के लिए दिए जाता है। पीटर से पहले यह अवार्ड दुनिया के जाने माने भौतिकशास्त्री स्टीफन हॉकिंग, DNA फिंगरप्रिंट पायनियर एलेक जेफरे और ग्राफीन की खोज करने वाले आंद्रे जेम को मिल चुका है।

और लग गई आखिरी मुहर
साल 1964 में पीटर ने मॉस में पॉर्टिकल एक्जीसटेंस और उससे उत्पन्न होने वाले अन्य पार्टिकल को एस्प्लेन किया था। हालांकि उसी दौरान फ्रेंकोस और रॉबर्ट ब्रूट ने भी यही थ्योरी बताई थी। लेकिन 2012 में बड़े पैमाने पर किए गए एक एक्सपेरिमेंट में हिग्स बोसान की उपस्िथति को स्वीकारा गया और इसका पूरा क्रेडिट पीटर हिग्स को मिला। आपको बताते चलें कि साल 2013 में हिग्स और एंगलर्ट को मिश्रित रूप से नोबल प्राइज दिया गया था। सम्मान मिलने के बाद पीटर ने कहा कि, कोपले मेडल मिलना एक गर्व की बात है और इससे वह काफी खुश हैं।

Hindi News from World News Desk

 

International News inextlive from World News Desk