इस तबाही में अब तक 17 लोगों की मौत हुई है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक तूफ़ान के कारण 2,400 करोड़ रुपए की धान की खड़ी फ़सल चौपट हो गई है.

मौसम विभाग ने इस चक्रवाती तूफ़ान के बारे में सही समय पर अनुमान लगा लिया था जिस कारण भारत के इतिहात में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया.

समय रहते  ऐहतियाती कदम उठा लिए जाने कारण कम से कम लोगों की मौत हुई. ओडिशा के गृह सचिव के मुताबिक राज्य में तूफ़ान के कारण 17 लोगों की मौत हुई है जिनमें तूफ़ान से पहले हुई मौतें भी शामिल हैं.

पीटीआई के मुताबिक क्षेत्र में चली तूफ़ानी हवाओं के कारण संचार व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है.

शनिवार शाम को जब तूफ़ान ओडीशा के  गोपालपुर के पास भारतीय तट से टकराया तो उस दौरान क्षेत्र में 220 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चल रही थीं. तूफ़ान से सबसे ज्यादा ओडीशा का गंजम ज़िला प्रभावित हुआ है.

भारतीय मौसम विभाग ने इस तूफ़ान को बेहद ख़तरनाक करार दिया था.

कमज़ोर पड़ा पायलिन

मौसम विभाग के मुताबिक  पायलिन अब कमज़ोर पड़ गया है और हवाओं की गति 45-55 किमी प्रति घंटा है.

वर्तमान में यह छत्तीसगढ़, ओडीशा के कुछ हिस्सों और झारखंड के ऊपर ''गहरा दबाव क्षेत्र'' में तब्दील हो गया है. रविवार देर रात तक इसके और कमज़ोर पड़ने की संभावना है.

मौसम विभाग के वैज्ञानिक (चक्रवात चेतावनी विभाग) एम. महापात्रा के मुताबिक, ''चक्रवाती हवाएं अब गहरे दबाव में तब्दील हो गई हैं. वर्तमान में यह उत्तरी छत्तीसगढ़, ओडीशा के कुछ हिस्सों और झारखंड के ऊपर बना हुआ है.''

पायलिन से 90 लाख लोग प्रभावित,लाखों घर तबाह

इस तूफ़ान के बारे में सही समय पर जानकारी मिल जाने के कारण ओडीशा में प्रशासन ने करीब नौ लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था. पिछले कुछ सालों में लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की यह सबसे बड़ी कार्रवाई थी.

साल 1999 में आए ऐसे ही एक तूफ़ान में करीब 10 हज़ार लोग मारे गए थे.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एम शशिधर रेड्डी ने कहा, ''जिस तरह से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया उससे हम संतुष्ट हैं.''

तूफ़ान सबसे पहले गोपालपुर से टकराया था. वहां के 90 से 95 फ़ीसदी लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया था.

पुनर्वास पर ज़ोर

ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, ''प्राथमिक लक्ष्य जीवन के नुकसान को कम से कम करना था और ऐसा करने में सफलता मिली है. करोड़ों रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है और अब पुनर्वास का काम किया जाएगा.''

तूफ़ान के कारण हुई तबाही के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए ओडीशा के राजस्व मंत्री एस. एन. पात्रो ने कहा कि 12 ज़िलों के 14,514 गांवों के 80,53,620 लोग प्रभावित हुए हैं.

2.34 लाख से अधिक घर तबाह हो गए हैं और 8.73 लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया.

पायलिन से 90 लाख लोग प्रभावित,लाखों घर तबाह

उन्होंने कहा कि खेतों में पानी भर जाने के कारण पांच लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खड़ी फ़सल बर्बाद हो गई है.

प्रभावित इलाकों में बिज़ली की स्थिति के बारे में ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि पायलिन तूफ़ान के कारण बिजली ट्रांसमिशन में कुछ बाधा पहुंची, लेकिन उसे समय रहते ठीक कर लिया गया.

बयान में कहा गया है, ''ज़रूरी मांग और उत्पादन का संतुलित तरीके से प्रबंधन कर लिया गया, जिससे कि स्थिर ट्रांसमिशन की आवृति बनी रहे.''

बयान के मुताबिक तूफ़ान के कारण आंध्र प्रदेश में बिज़ली की मांग घटकर नौ हज़ार मेगावाट थी जबकि सामान्य दिनों में यह 10 हज़ार मेगावाट होती है.

ओडीशा में मांग में भारी गिरावट दर्ज की गई. वहां सामान्य दिनों में 2800 मेगावाट बिज़ली की जरूरत पड़ती है लेकिन तूफ़ान के कारण यह घटकर 600 मेगावाट पर आ गई.

मौसम विभाग की सूचना के आधार पर तूफ़ान के कारण बिज़ली की मांग पर पड़ने वाले असर को लेकर पहले से ही तैयारी कर ली गई थी.

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