The First Generation :- 1945 से लेकर 1956 तक का समय फर्स्ट जेनरेशन कंप्यूटर के लिए जाना जाता है। इसमें वैक्यूम ट्यूब को प्रोसेसर की तरह यूज किया जाता था। हालांकि यह काफी बड़ा और मंहगा माना जाता है। वहीं परफॉर्मेंस में यह काफी स्लो हुआ करता था। इस दौरान ENIAC और UNIVAC जैसे कंप्यूटर्स का आविष्कार किया गया। UNIVAC में 5400 वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल होता था। यह कंप्यूटर बड़े-बड़े हॉल के बराबर हुआ करते थे।
तस्वीरों में देखें समय के साथ कैसे बदल गया आपका कंप्यूटर
The Fourth Generation :- 1971 से लेकर अभी तक फोर्थ जेनरेशन का दौर चल रहा है। इसमें IC को माइक्रोप्रोसेसर में तब्दील कर दिया गया। इसमें एप्पल से लेकर माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्ग्ज कंपनियां उभरकर सामने आईं और लोगों को एक स्मार्ट कंप्यूटर देखने को मिला। आज हम घरों, ऑफिसों और नोटपैड का इस्तेमाल कर रहे हैं ये सभी माइक्रोप्रोसेसर पर वर्क कर रहे हैं। ये कंप्यूटर काफी स्मार्ट और हाईटेक हैं। हालांकि अब इसके आगे की तैयारी भी शुरु हो गई है। जोकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं। Courtesy : ptc.dcs.edu
The Third Generation :- 1965 से लेकर 1970 के बीच कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में काफी बदलाव हुआ। इस दौरान इंटीग्रेटेड सर्किट का आविष्कार हुआ और ट्रांजिस्टर की जगह IC (इंटीग्रेटेड सर्किट) का इस्तेमाल किया जाने लगा। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि करोड़ो ट्रांजिस्टरों को एक छोटी सी IC में बदल दिया जाएगा। यह एक सेमीकंडक्टर चिप की तरह वर्क करती थी। इससे कंप्यूटर का साइज तो बदला ही साथ ही परफार्मेंस के मामले में यह काफी आगे निकल आया।
The Second Generation :- जैसा कि कहा जाता है कि आवश्कता ही आविष्कार की जननी है। ठीक इसी तरह जब फर्स्ट जेनरेशन वाले कंप्यूटर्स काफी बड़े और मंहगे साबित होने लगे तो सेकेंड जेनरेशन के कंप्यूटर्स की उत्पत्ति हुई। 1956 से लेकर 1963 तक का समय कंप्यूटर के बदलाव का दौर था। इन 7 सालों में कंप्यूटर काफी बदल चुका था। वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का यूज होने लगा। 1 ट्रांजिस्टर करीब 40 वैक्यूम ट्यूब के बराबर काम करने लगा। और इसको बनाने में ज्यादा खर्चा भी नहीं आता था।