भाषण के पहले ब्रिस्बेन ने किया नागरिक अभिनंदन
इस दौरान नरेंद्र मोदी ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शिक्षा, पर्यटन और तकनीक समेत कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात कही. उन्होंने कहा कि ब्रिसबेन खासतौर पर तकनीक के लिए जाना जाता है. ठीक इसी तरह से भारत में हैदराबाद शहर है. इस शहर को साइबराबाद भी कहा जाता है. भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों शहरों के बीच में सिस्टर सिटी का संबंध जरूर बन सकता है. भाषण से पहले ब्रिसबेन शहर की ओर से उनका नागरिक अभिनंदन किया गया. इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए.
 
किया महात्मा गांधी की मूर्ति का अनावरण
वहीं नागरिक अभिनंदन से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ब्रिसबेन के रोमा स्ट्रीट पर पहुंचे. यहां पर उन्होंने महात्मा गांधी की मूर्ति का अनावरण किया. इससे पहले उन्होंने वहां पर खास उनके लिए मौजूद भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया. इस दौरान मोदी ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं मोदी पीएम बनने के बाद बार-बार गांधी का नाम लेते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि जब वह गुजरात के सीएम भी नहीं थे, तब भी ब्रिसबेन के लोगों के बीच उन्होंने महात्मा गांधी की बात की थी. उन्होंने कहा कि जब वह 2001 में वहां आए थे तो उन्होंने यहां एक परिवार को कहा था कि यहां गांधी जी का एक मेमोरियल होना चाहिए. उन्हें उस समय नहीं पता था कि वो उनकी बात को इतनी गंभीरता से ले लेंगे.  
 
लोगों ने जमकर लगाए नारे
पीएम मोदी की मौजूदगी को लेकर वहां लोगों में विशेष उत्साह देखने को मिला. उनकी कार जैसी ही वहां पहुंची, लोगों ने 'मोदी-मोदी' और 'भारत माता की जय' जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए, ढोल नगाड़े बजने लगे. लोगों में उनसे हाथ मिलाने के लिए होड़ सी लगी थी. कार्यक्रम के दौरान क्वींसलैंड के गवर्नर और मेयर भी वहां पर मौजूद थे.
 
कुछ ऐसा था पीएम का भाषण
अपने भाषण के दौरान पीएम ने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि 2 अक्टूबर को पोरबंदर की धरती पर एक इंसान का नहीं, एक युग का जन्म हुआ था. गांधी आज विश्व के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने अपने दौर में थे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज विश्व जिन दो बड़ी चिंताओं ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद से जूझ रहा है, उसका जवाब गांधी जी के जीवन में था. जी-20 सम्मेलन में भी उन्होंने इसका जिक्र किया है. अगर हम गांधी जी के आदर्शों और शिक्षाओं का अनुकरण करें तो प्रकृति का शोषण नहीं होगा और ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या से भी निपट सकेंगे. महात्मा गांधी ने हमें अहिंसा का रास्ता दिखाया. यह सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ हिंसा का विरोध नहीं था. गांधी शब्दों की हिंसा के भी विरोधी थे. उनका कहना था कि जो लोग बाहर हैं और यहां नहीं पहुंच सके उनका भी वह सम्मान करते हैं. आगे समय की सीमा को दिखाते हुए उन्होंने कहा कि अगले कार्यक्रम के लिए साथी उन्हें घड़ी दिखा रहे हैं, इसलिए निकलना होगा.

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