पुलिस की लाठी देख सहमे खाना लेकर जा रहे मासूम

लॉकडाउन के छठें दिन पुलिस के धैर्य की हकीकत देख उठे सवाल

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PRAYAGRAJ: लॉकडाउन के हालात में जब पेट भरने के लाले पड़े हैं। मजबूर और परेशान लोग कहीं खाना बंटता देख उम्मीद लिए वहां पहुंच जाते हैं। रोटियां ले रहे लोगों को लाठियों से डराया जाए तो जिम्मेदारों पर सवाल उठना लाजिमी है। कुछ ऐसा ही देखने को मिला सोमवार को अतरसुइया में। यहां खाना लेकर जा रहे बच्चों को लाठियां तानकर डराने की कोशिश की गई। वजह बताई गई कि यह लोग लॉकडाउन तोड़ रहे हैं।

बांटा जा रहा था खाद्यान्न व खाना

कोरोना महामारी से लोगों को बचाने की जंग छिड़ी हुई है। पूरे देश में कफ्र्यू जैसे हालात हैं। रोज खाने व कमाने वाले तमाम लोगों निवाले के लिए परेशान हैं। ऐसे लोगों की मदद में पुलिस और प्रशासन के साथ तमाम समाजसेवी और व्यापारी भी आगे आए हैं। लॉकडाउन के छठे दिन सोमवार को अतरसुइया मस्जिद गली में परेशान लोगों को खाद्यान्न बांटा जा रहा था। यहां कुछ लोग भोजन का वितरण भी कर रहे थे। भोजन व खाद्यान्न लेने पहुंचे तमाम लोगों को पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ीं। गौरतलब है कि लॉकडाउन को अभी तक छह दिन हुए हैं। छह दिन में ही यहां यह बात साबित होती नजर आई कि पुलिस ही अब धैर्य खोने लगी है।

जहां होना चाहिए वहां नहीं होता एक्शन

एक तरफ पुलिस खाना लेने जा रहे मासूमों को लाठी का खौफ दिखाती है। लेकिन शहर में तमाम जगहों पर लॉकडाउन तोड़ा जा रहा है। तमाम जगहों पर लोग बिना वजह सड़कों पर घूम रहे हैं। ग्रुप बनाकर बातें कर रहे हैं, लेकिन यहां पर पुलिस का कोई एक्शन देखने को नहीं मिल रहा है।

लोगों के सवाल कौन देगा जवाब?

अपने व बच्चों के पेट को भरने के लिए घरों से निकले लोगों को पुलिस समझाकर कर भी घर भेज सकती थी

उन तक खाद्यान्न या भोजन नहीं पहुंचा होगा, तभी तो उन्होंने घरों से बाहर निकलने की हिमाकत की

अगर वे खाद्यान्न और खाने के लिए घर से बाहर आ गए तो उन्हें मारने या लाठी लेकर दौड़ाने की क्या जरूरत थी

भूखे बच्चों को मारना तो दूर डराना भी क्या ऐसे हालात में उचित है, इस तरह के सवाल लोग करते रहे।