इनोवेटिव थिंकिंग की जरूरत

अपने मैसेज में प्र्रेसिडेंट ने कहा कि दुनिया के 200 शीर्ष हायर इन्स्टीट्यूशंस में इंण्डिया के एक भी इन्स्टीट्यूट का शामिल न होना चिंता का विषय है। जबकि एक समय तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में दुनियाभर से लोग स्टडी के लिए आया करते थे। उस समय इण्डिया को एजूकेशन का हब कहा जाता था और हमें इसपर गर्व होता था। उन्होंने करोड़ों की आबादी में भारत से उंगलियों पर गिनने लायक नोबेल लारेट्स के निकलने का भी मसला उठाया और कहा कि प्रजेंट सिचुएशन को बदलने के लिए हमें इन्नोवेटिव थिंकिंग, पोटेंशियल विद एक्सिलेंस, टेक्नोलाजी डेवलपमेंट और बेहतरीन रिसर्च वर्क की जरूरत है। प्रेसिडेंट ने आगे कहा कि हमें इस तरह से एजुकेशन के डेवलपमेंट की जरूरत है कि जिससे बाहरी स्टूडेंट्स तो यहां आएं ही, साथ ही एक्सपर्ट्स भी आने के इच्छुक हों। टीचर्स की क्षमता के यूटीलाइजेशन के अलावा उन्होंने नैतिक शिक्षा पर भी जोर दिया। इसके लिए उन्होंने डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन से प्रेरणा लेने को कहा। उन्होंने डिफरेंट डिफरेंट इन्स्टीट्यूटस में अलग-अलग लेवल आफ एजुकेशन पर भी चिंता जाहिर की।

समझ न आई महामहिम की स्पीच

एयू में प्रेसिडेंट के मैसेज को सुनने आए ज्यादातर स्टूडेंट्स को प्रेसिडेंट का अंग्रेजी में दिया गया मैसेज खूब खला। ऊपर से 25 मिनट के प्रोग्राम में बार बार आने वाली नेटवर्क प्राब्लम ने स्टूडेंट्स को और भी मायूस किया। प्रोग्राम के बाद कुछ सीनियर स्टूडेंट्स ने अपनी प्रतिक्रिया भी जाहिर की और कहा कि अगर प्रेसिडेंट हिन्दी में अपनी स्पीच देते तो जूनियर्स के मोटिवेशन के लिए ज्यादा अच्छा होता। इस बीच छात्रों को प्रेसिडेंट के लाइव टेलीकास्ट से जुड़े दूसरे सेंट्रल इन्स्टीट्यूटस की फैसेलिटी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सीनेट हाल की टूटी फूटी कुर्सियों, गंदे पर्दों, फटे हुए फर्श आदि से कम्पैरेजन करते हुए भी देखा गया। कुछ स्टूडेंट्स ने इस पर गहरी निराशा भी व्यक्त की।