निशाने पर बैंक के अधिकारी

सूत्रों की मानें तो इस मामले में बैंक के अधिकारियों की भूमिका संदेह के दायरे में है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि उन्होंने केवाईसी के नियमों का पालन नहीं किया और चीनी मिल को लोन देने से पहले पुराने बकाया भी नहीं वसूला। वहीं लोन की रकम को बाद में किन खातों में ट्रांसफर किया गया, इस बारे में भी ईडी गहन पूछताछ करने की तैयारी में है। ध्यान रहे कि सीबीआई ने विगत 25 फरवरी को ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के साथ 109 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई ने हापुड की सिंभावली चीनी मिल के प्रबंध तंत्र समेत अज्ञात बैक अफसरों के खिलाफ केस दर्ज किया है। जोनल कार्यालय में छापा मारा

सीबीआई की टीमों ने इसके बाद दिल्ली, नोएडा और हापुड़ स्थित चीनी मिल के निदेशकों, फैक्ट्री, कॉरपोरेट ऑफिस और दिल्ली स्थित कंपनी के दफ्तर समेत आठ ठिकानों पर छापेमारी भी की। वहीं ईडी ने भी इसका केस दर्ज करने के बाद चीनी मिल परिसर, नोएडा स्थित कॉरपोरेट ऑफिस और मेरठ स्थित बैंक के जोनल कार्यालय में छापा मारा था।

2011 में लिया था पहला लोन

सीबीआई के मुताबिक निजी कंपनी द्वारा वर्ष 2011 में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से 148.60 करोड़ का लोन लिया था। यह लोन 5762 गन्ना किसानों से गन्ने की आपूर्ति के एवज में लिया गया था जबकि कंपनी ने इसे अपने निजी लाभ के लिए दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया। बाद में मार्च 2015 में इसे एनपीए घोषित कर दिया गया। वहीं आरबीआई ने इसे बैक द्वारा किया गया फ्रॉड करार दे डाला। वहीं एनपीए के बावजूद जनवरी 2015 में बैंक द्वारा निजी चीनी मिल को 110 करोड़ रुपये का लोन और स्वीकृत कर दिया गया जबकि उसने पुराना 97.85 करोड़ का लोन वापस नहीं किया था।

इनको भेजा गया नोटिस

सिंभौली शुगर मिल लिमिटेड के चेयरमैन एवं एमडी गुरमीत सिंह मान, गुरपाल सिंह (डिप्टी एमडी), जीएससी राव (चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर), संजय तापरिया (सीएफओ), गुरसिमरन कौर मान (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, कमर्शियल), एसके गांगुली, एससी कुमार, बीके गोस्वामी, यशवंत वर्मा, राम शर्मा (नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर), बैक अधिकारी।

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