स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते भारत में ऑलिव ऑयल (जैतून के तेल) का आयात हर साल बढ़ रहा है। जिसका बड़ा हिस्सा फिलहाल स्पेन से आता है। अकेले इस फाइनेंशियल ईयर में 13,500 टन ऑलिव ऑयल आयात होने का अनुमान है। जो बीते वर्ष के मुकाबले लगभग 20 प्रतिशत अधिक है।

जैतून उत्‍पादन में भारत का 'स्‍पेन' बन सकता राजस्‍थान

फोटो: जयपुर में बस्सी स्िथत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

जैतून जैसा ही करिश्मा राजस्थान खजूर उत्पादन में भी दोहराना चाहता है। जिसका मिडिल ईस्ट के देशों से आयात होता है। वहीं घरेलू उत्पादन में गुजरात आगे है। सालाना आयात लगभग 2,56,000 मीट्रिक टन है।

राज्य की कोोशिश पश्चिमी जिलों में जैतून व खजूर की खेती को लोकप्रिय बनाने की है। इलाका जिसे हम मरूभूमि के लिए जानते हैं। यह परंपरागत रूप से भूमि की उत्पादकता व पानी की कमी व गुणवत्ता की चुनौतियों से दो-चार रहे जिले हैं। तकनीक के दम पर राज्य इनसे पार पाने की कोशिश में है। जिसके लिए इजरायल के विशेषज्ञों कृषि की भी मदद ली जा रही है। जहां का वातावरण कमोबेश पश्चिमी राजस्थान सरीखा है।

प्रदेश के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी के अनुसार सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। जिसे पाने के लिए परंपरागत खेती से इतर विकल्प जरूरी हैं। जैतून व खजूर की खेती उसी की कड़ी है।


जैतून उत्‍पादन में भारत का 'स्‍पेन' बन सकता राजस्‍थान 

फोटो: जैसमलेमर स्थित खजूर की खेती के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस व डिमांस्ट्रेशन फार्म

जैतून व खजूर की खेती करने वाले किसानों को अपनी उपज बेचने में परेशानी न हो इस पर भी सरकार का ध्यान है। जैतून की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड (आरओसीएल) की स्थापना की है। इसकी प्रोसेसिंग के लिए बीकानेर में रिफाइनरी लगाई गई है। सरकार राज ऑयल के नाम से अपना ऑलिव ऑयल ब्रांड भी बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है।

आरओसीएल के सीओओ योगेश वर्मा बताते हैं कि राज्य में लगभग 1000 हेक्टेयर जमीन में जैतून की खेती हो रही है। जिसे बढ़ाकर 5000 हेक्टेयर करने का प्रयास है। वहीं खजूर की खेती को बढ़ावा देने के साथ उसकी प्रोसेसिंग व नए उत्पाद बाजार में लाने पर भी ध्यान है। जैसलमेर व बीकानेर में डिमांस्ट्रेशन फार्म विकसित किए गए हैं। साथ ही निजी क्षेत्र को इसकी प्रोसेसिंग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

खेती में बढ़ते मेकेनाइजेशन पर भी राज्य की नजर है। प्रिंसिपल सेक्रेटरी एग्रीकल्चर नीलकमल दरबारी के अनुसार छोटे किसानों तक कृषि उपकरणों की पहुंच के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर विकसित किए जा रहे हैं। राज्य में 9-11 नवंबर के बीच ग्लोबल राजस्थान एग्रिटेक मीट 2016 (ग्राम 2016) का भी आयोजन हो रहा है। जिसमें राज्य भर से 50 हजार किसानों के भाग लेने की उम्मीद है।

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