कानपुर। रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। इसके अलावा इस दिन पूजा का भी विधान है। इस दिन व्रती को चाहिए कि सविधि स्नान करके देवता पितर और ऋषियों का तर्पण करें। दोपहर को सूती वस्त्र लेकर उसमें सरसो, केसर, चन्दन, अक्षत एवं दूर्वा रखकर बांधे, फिर कलश स्थापन कर उस पर रक्षा सूत्र रखकर उसका यथाविधि पूजन करें। उसके पश्चात् किसी ब्राह्मण से रक्षा सूत्र को दाहिनें हाथ में बंधवाना चाहिए। रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण को यह निम्नलिखित मंत्र पढऩा चाहिए:-

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नाभि रक्षे मा चल मा चल।।

'आयुष्मान योग' में राखी बांधते समय उपरोक्त मंत्र अवश्य पढ़ें।

घर के मुख्य द्वार पर बांधे रक्षा सूत्र
इस दिन प्रात: काल स्नान आदि के पश्चात् सूर्य देव को जल चढ़ाकर, शिव जी की अराधना कर शिवलिंग पर जल चढ़ायें। लाल व केसरिया धागे को गंगाजल, चंदन, हल्दी व केसर से पवित्र कर गायत्री मंत्र का जाप करते हुये अपने घर के मुख्य द्वार पर बांधे फिर बहन-भाईयों आदि को राखी बांधे। घर के मुख्य द्वार पर बंधा यह धागा घर को हर बुरी नजर से बचाता है एवं घर के वातावरण पंचमहाभूत-जल, वायु, पृथ्वी, आकाश व अग्नि को संतुलित रखता है।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली