-रायबरेली से पैदल ही रीवां के लिए निकल पड़े लोगों ने बयां किया अपना दर्द

-फैक्ट्रियां बंद होने के बाद खाने के लाले पड़े तो बिना सोचे-समझे चल दिए घर

anjani.ksrivastava@inext.co.in

PRAYAGRAJ: 'भइया, परदेस गए थे रोजी-रोटी के लिए। अपना और बच्चों का पेट पालने के लिए। अब सबकुछ बंद हो गया है तो वहां रहकर क्या करेंगे। इससे अच्छा है घर ही पहुंच जाएं। वहां रहेंगे तो भूख से मरेंगे। बाहर निकलेंगे तो बीमारी से मर जाने का डर है। करें तो क्या करें, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इसलिए बिना सोचे-समझे पैदल ही निकल पड़े हैं। घर-परिवार के पास पहुंच जाएंगे तो सुकून तो रहेगा ना.'

यह कहना है कि उन लोगों का जो लॉकडाउन के चलते फैक्ट्रियां बंद होने के बाद पैदल ही रायबरेली से रीवां के लिए निकल पड़े हैं। बुधवार को वह शहर से गुजर रहे थे। इस दौरान जब उन पर नजर पड़ी तो दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने उनसे बात की। इस दौरान उन्होंने अपनी पीड़ा कुछ इन्हीं शब्दों में बयां की।

भूख, प्यास और थकान से बेबस

भोलानाथ, दीपक रावत और आशीष कुमार के चेहरे पर भूख, प्यास और थकान साफ नजर आ रही थी। रायबरेली से रीवा के बीच करीब 300 किमी की दूरी है। उन्होंने 23 मार्च की शाम से रीवा से अपनी यात्रा शुरू की है। किसी तरह से बुधवार को प्रयागराज पहुंचे थे। इसके आगे का सफर उनके लिए और कठिनतम होने वाला है। लेकिन उनकी बातों में इस बात की परवाह बिल्कुल भी नजर नहीं आ रही थी। उनकी आंखों में बस एकमात्र लक्ष्य था, अपने परिवार के बीच पहुंच जाना।

23 मार्च की शाम रीवां के लिए निकले पैदल

21 मार्च को जनता कफ्र्यू के बाद तीन दिन के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इसके बाद मंगलवार रात 12 बजे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन घोषित कर दिया। इसके बाद देश के तमाम शहरों में छोटी-छोटी फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। इसके बाद मालिकों ने मजदूरों को घर जाने को बोल दिया है। रेल, बस समेत तमाम ट्रांसपोर्टेशन के साधन बंद पड़े हैं। ऐसे में इन लोगों के सामने पैदल घर जाने के सिवा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं बचा है।

रायबरेली में दिहाड़ी पर मजदूरी कर रहे थे। लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया और मालिक ने जाने के लिए कह दिया, तो दो दिन पहले रायबरेली से मध्य प्रदेश रीवा के लिए पैदल ही निकल दिये हैं। अब रीवा कब पहुंचेंगे राम जाने।

-भोला नाथ

जेब में पैसा भी नहीं है, डर लग रहा है कि कहीं पुलिस वाले बंद न कर दें। पर क्या करें वहां रहते तो भूखे पेट मर जाते। इसलिए फैसला लिया कि पैदल ही अपने घर रीवां चलते हैं। अब यहां तक आ गए हैं, आगे भी पहुंच ही जाएंगे।

दीपक रावत

बहुत डर लग रहा है, पर क्या करें। मजदूरी बंद हो गई है। इसलिए पैदल ही निकल गए हैं। प्रयागराज तक पहुंच गए हैं। उम्मीद है कि रीवां भी पहुंच जाएंगे। पुलिस वालों ने तीन घंटे तक हम लोगों को बैठाया था। काफी मिन्नट के बाद जाने के लिए छोड़ा है।

- आशीष कुमार