- शूटर्स कम रुपए लेकर भी ले रहे हैं जान, कई गिरोह हैं एक्टिव

- रिश्तेदार और दोस्त करवा रहे मर्डर

- कुछ मामलों में पकड़े गये अपराधियों ने किया खुलासा रुपए के लिए ली जान

- 50 हजार और 90 हजार में मारे जा रहे लोग

- कई और हत्या में कांट्रैक्ट किलर का हाथ

PATNA : राजधानी में कांट्रैक्ट किलर गिरोह की ताकत ही नहीं बढ़ रही बल्कि उनका रेट भी कम होने लगा है। मतलब यह कि कम कीमत में भी ये नये गिरोह जान लेने को तैयार बैठे हैं। हाल के दिनों में हत्या के कुछ मामलों के खुलासे के बाद यह साफ हो गया कि कभी लाखों लाख की डील अब हजारों में सिमट कर रह गई है। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। एक तो यह कि गिरोहों की संख्या बढ़ गई है और वे किसी की जान लेने के लिए रेट की परवाह नहीं कर रहे। दूसरी यह कि यहां नये लड़के इस काम में उतर गये हैं और वे कीमत पर ध्यान न देकर अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि जेल में बैठे बड़े अपराधियों के गुर्गे जो बाहर हैं वे खुद अपना गैंग खड़ा कर बड़ा अपराधी बनना चाहते हैं।

जान सस्ती हो गई

कुछ दिनों पहले ही पुलिस ने सुपारी लेकर हत्या करने वाले एक गिरोह के पांच लोगों को गिरफ्तार किया। पकड़े गये अपराधियों ने दो मर्डर केस का खुलासा कर दिया। यह भी बताया कि महज कुछ हजार रुपये लेकर उनकी हत्या की थी। सीएम सिक्योरिटी में तैनात पुलिसकर्मी सुरेश प्रसाद के बेटे रवि की हत्या इसी गिरोह के अनिल पासवान उर्फ भूरा ने की थी। वह भी सुपारी लेकर। यही नहीं अनिल ने उसी दौरान एक और चर्चित मर्डर केस में अपने साथी साहिल के साथ मिलकर हत्या करने की बात कबूल की थी। उसने पुलिस को बताया कि मात्र 90 हजार रुपये लेकर उसने बैककर्मी अमृतेष की हत्या कर दी। उसने उस व्यक्ति का भी नाम बताया जिसने उसे हत्या की सुपारी दी थी। हालांकि पुलिस अभी उस आदमी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। यही नहीं स्वर्ण व्यवसायी मुन्ना साह की हत्या उसके बहनोई गौरीशंकर ने ही करवाई। उसने कांट्रैक्ट किलर को मात्र भ्0 हजार रुपए दिये। उसने इतने रुपए में ही करोड़पति मुन्ना की जान ले ली गई।

अज्ञात पर मामला बनने से फायदा

कांट्रैक्ट किलर्स का सहारा लेने में दोस्त और रिश्तेदार शामिल हो रहे हैं। उन्हें लगता है कि ये अपराधी आराम से पकड़े नहीं जायेंगे और बाद में पकड़े गये तो मुंह नहीं खोलेंगे। अबतक जो बात सामने आई है उसमें किसी दोस्त के माध्यम से ही कांट्रैक्ट किलर्स से संपर्क किए जाने की बात सामने आई है। ऐसे ज्यादातर मामले में मारने वालों का पता नहीं होता और अज्ञात पर एफआईआर दर्ज होती है। पुलिस को अगर कोई लीड नहीं मिली तो आराम से साजिश रचने वाला बच जाता है। दवा कारोबारी धीरज साह की हत्या पीरबहोर थाना एरिया में जुलाई ख्0क्ब् में हुई थी। इस मामले में तीन लोगों को नामजद किया गया था, लेकिन उसमें किसी ने गोली नहीं चलाई थी यह पुलिस भी मानती है। ऐसे में उसकी हत्या के लिए भी कांट्रैक्ट किलर्स का सहारा लिया गया था। इधर क्ख् फरवरी को मैनपुरा में मारे गये प्रोपर्टी डीलर संतोष सिंह की हत्या भी कांट्रेक्ट किलर्स से ही करवाई गई है। इस मामले का राज खुलना अभी बाकी है लेकिन पुलिस के शक के दायरे में जो गिरोह है उसके कई मेम्बर सुपारी लेकर हत्या करता है। कुछ दिनों पहले ही इस गिरोह के कई लोग जेल से निकले हैं, जो पुलिस के लिए भी सिरदर्द बने हैं।