फौज की शान थी यह

 अब यह बच्चों के खिलौनी जैसी लगती है। साइज, लुक और मॉडल ही कुछ ऐसा है। यह आज का सच है। लेकिन, एक दौर ऐसा भी होता था जब यह फौज की शान थी। सेकंड वल्र्ड वार के समय तो यही मोटरबाइक इस्तेमाल हुई थी। वक्त बदलने के साथ ही तमाम अपग्रेडेशन हुए और इसका लुक चेंज होता चला गया। साख बात यह है कि आज भी रोड पर यह सिर्फ बच्चों नहीं बड़ों का भी ध्यान अपनी ओर खींचती है। हर कोई इसे अपने मोबाइल में कैद करना चाहता है।

60 रुपए में आर्मी से खरीदी थी

विलियर्स पैराटूकर बाइक 1942 मॉडल की है। इसका यूज सेकंड वल्र्ड वार के दौरान आर्मी ने किया था। बाइक के मॉडल अपग्रेड होने के साथ ही यह बाइक आउटडेटेड होती हो गई और आर्मी ने इसे अपने स्टोर में डाल दिया। 60 के दशक में सिटी के बिजनेसमैन और बाइक के शौकीन मोहम्मद रफीक ने 60 रुपए में इसे आर्मी द्वारा पुराने सामानों की नीलामी के दौरान खरीदा था। पिता के शौक को बेटे एजाज ने भी जिंदा रखने का फैसला लिया और वह आज भी इसे मेंटेन करके रखे हुए हैं.  एजाज इसे लेकर राजस्थान, वाराणसी, लखनऊ समेत कई सिटी में विंटेज कार रैली में शामिल हो चुके हैं। वह संडे को होने वाली विंटेज कार रैली की इस बाइक से अगुवाई करेंगे।

खासियत भी जान लें

विलियर्स पैराटूकर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे आसानी से फोल्ड करके बॉक्स में रखा जा सकता है। बाक्स को कंधे पर टांग कर कहीं भी ले जाया जा सकता है। सेकंड वल्र्ड वार के दौरान आर्मी के जवान पैराशूट से जंप करते समय इसे अपने कंधे पर लाद लेते थे। लैंडिंग के बाद इस पर बैठकर आगे का सफर तय करते थे। बाइक में कोई किक न होने के कारण इसे दौड़कर स्टार्ट किया जाता है। इसे अपने समय की सबसे बेहतरीन बाइक का दर्जा हासिल था।

एक नजर में

-विलियर्स पैराटूकर बाइक

-मॉडल 1942

-वजन 38 किलोग्राम

-हाईट 18 इंच

-लेंथ  32 इंच

-इंजन 98 सीसी

-माइलेज 60 किलोमीटर/लीटर

-स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटे

-फ्यूल टंकी 2.5 लीटर