RANCHI : आपके घर में कोई बीमार है और इलाज कराने रिम्स ले जा रहे हैं तो कंबल भी साथ लेते जाएं। वजह, ठंड का मौसम हैं और यहां आपको कंबल नहीं मिलेंगे। यहां एडमिट मरीजों के परिजन को घर से ही कंबल और गर्म चादरें लानी पड़ रही है। सर्जरी आईसीयू व वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजनों ने बताया कि यहां की खिड़कियों में शीशा भी नहीं है। ठंड हवा सीधे रात में आती है। ऐसे में न तो खिड़की की मरम्मत की जा रही है और न ही कंबल दिया जा रहा है। कंपकंपाती ठंड में रात गुजारनी पड़ रही है।

खिड़कियों में नहीं हैं शीशे

सर्जरी आईसीयू के बीच में स्थित वार्ड की खिड़कियों के शीशे काफी दिनों से टूटे हुए हैं। गर्मी और बरसात तो किसी तरह गुजर गई, लेकिन ठंड बढ़ने के साथ यहां एडमिट मरीजों की परेशानी भी बढ़ गई है। खिड़की से ठंडी हवा सीधे वार्ड में घुस रही है। रिम्स प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी खिड़कियों की मरम्मत नहीं की गई। ऐसे में ठंडी हवा को अंदर आने से रोकने के लिए मरीजों के परिजन ने घर से गर्म चादर मंगाकर खिड़कियों में बांध दिए हैं, ताकि सर्द रात से थोड़ी राहत मिल सके।

मांगने पर भी नहीं मिल रहे कंबल

सर्जरी वार्ड में भर्ती मरीजों ने बताया कि मांगने के बाद भी उन्हें अबतक कंबल उपलब्ध नहीं कराया गया है। ठंड बढ़ती ही जा रही है। खिड़की का शीशा भी नहीं है। ऐसे में ठंडी हवा सीधे वार्ड में घुसती है। ऐसे में घर से कंबल मंगाकर जहां ओढ़ रहे हैं, वहीं गर्म चादर को खिड़की में बांध दिए हैं, ताकि रात में ठंड से थोड़ी राहत मिल सके। गौरतलब कि रिम्स में भर्ती होनेवाले हर मरीज को एक कंबल देने का प्रावधान है।

क्या कहते है परिजन

आठ दिन से यहां हैं। वार्ड की खिड़की का शीशा टूटा होने से रात में काफी ठंड लगती है। नर्स को जब अवगत कराया तो उसने कह दिया कि यह उनका काम नहीं है। हॉस्पिटल से एक कंबल मिला है, जिससे किसी तरह रात गुजार रहे हैं।

सुजीत

खिड़की के पास ही बेड है। ऐसे में शीशा नहीं होने से हवा सीधे अंदर आ रही है। ठंड से बचने के लिए खिड़की में गर्म चादर बांध दिए हैं, इसके बाद भी रात कंपकंपाती है।

आतिश केरकेट्टा

वार्ड की खिड़की के शीशे टूट गए हैं। ठंड हवा सीधे अंदर आती है। मरीजों की परेशानी से रिम्स प्रबंधन का लेना-देना नहीं है। आखिर हम क्या करें, समझ में नहीं आता है।

सुजीत कुमार

एक महीना पहले से मेरे रिलेटिव यहां एडमिट हैं। शुरू में मांगने पर भी कंबल नहीं मिलाय अब ठंड बढ़ गई है, लेकिन इसके बाद भी कंबल उपलब्ध नहीं कराया गया है। घर से कंबल मंगाकर किसी तरह रात गुजार रहे हैं।

वसंती देवी

कल अपने बच्चे को एडमिट कराए हैं। अभी तक कंबल उपलब्ध नहीं कराया गया है। बच्चे के लिए घर से गर्म चादर मंगवाना पड़ा है। अब देखना है कि कंपकंपाती ठंड में कब कंबल मिलता है।

कैलाश