प्रसून जोशी :
देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के गुड़गांव जो अब गुरुग्राम के नाम से जाना जाता है में एक बच्चे की हत्या ने देश भर में सनसनी फैला दी है। जाने-माने गीतकार और अब सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने सोशल मीडिया में बचपन पर एक मार्मिक कविता शेयर की है।
जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,
जब माँ की कोख से झाँकती ज़िन्दगी,बाहर आने से घबराने लगे,
समझो कुछ ग़लत है।
जब तलवारें फूलों पर ज़ोर आज़माने लगें,
जब मासूम आँखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे,
समझो कुछ ग़लत है
जब ओस की बूँदों को हथेलियों पे नहीं,
हथियारों की नोंक पर थमना हो,
जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुज़रना हो,
समझो कुछ ग़लत है
जब किलकारियाँ सहम जायें
जब तोतली बोलियाँ ख़ामोश हो जाएँ
समझो कुछ ग़लत है
कुछ नहीं बहुत कुछ ग़लत है
क्योंकि ज़ोर से बारिश होनी चाहिये थी
पूरी दुनिया में
हर जगह टपकने चाहिये थे आँसू
रोना चाहिये था ऊपरवाले को
आसमान से
फूट-फूट कर
शर्म से झुकनी चाहिये थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें
शोक नहीं सोच का वक़्त है
मातम नहीं सवालों का वक़्त है ।
अगर इसके बाद भी सर उठा कर खड़ा हो सकता है इंसान
तो समझो कुछ ग़लत है l
अमिताभ बच्चन :
साल 2012 में दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले ने पूरे देश में सनसनी मचा दी थी। लोग सड़कों पर कैंडल मार्च कर रहे थे। तब उस वक्त बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक मर्मस्पर्शी कविता लिखी थी। बिग बी ने लिखा कि, 'अमानत कहें या दामिनी, अब ये सिर्फ एक नाम हैं। उसके शरीर की मौत हो गई है, लेकिन उसकी आत्मा हमारे दिलों को झकझोरती रहेगी।'
समय चलते मोमबत्तियां, जलकर बुझ जाएंगी..
श्रद्धा में डाले पुष्प, जलहीन मुरझा जाएंगे..
स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे..
किंतु 'निर्भयता' की जलाई अग्नि हमारे हृदय को प्रच्वलित करेगी..
जलहीन मुरझाए पुष्पों को हमारी अश्रु धाराएं जीवित रखेंगी..
दग्ध कंठ से 'दामिनी' की 'अमानत' आत्मा विश्वभर में गूंजेगी..
स्वर मेरे तुम, दल कुचलकर पीस न पाओगे..
मैं भारत की मां, बहन या बेटी हूं,
आदर और सत्कार की मैं हकदार हूं..
भारत देश हमारी माता है,
मेरी छोड़ो, अपनी माता की तो पहचान बनो!!
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