मार्शल आर्ट, किक बॉक्सिंग इनका धर्म है और ब्रूस ली इनके भगवान. बुरा मानो या भला ये ब्रूस ली की पूजा करते हैं. कहते हैं, उन्हें हर संकट से उबारते आए हैं ब्रूस ली जी. इस परिवार में सभी इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं. खेल के लिए जुनून इतना था कि ब्रूस ली की तस्वीर सामने रखकर प्रैक्टिस शुरू कर दी. अब ऐसा कोई मुकाबला नहीं होता जिसमें मेडल न आए...

पने देश में क्रिकेट धर्म है तो सचिन तेंदुलकर इसके भगवान. लेकिन सचिन को पूजने वाले इस देश में एक ऐसा परिवार भी है जो ब्रूस ली को पूजता है. समाज, मान्यताओं से बेपरवाह 20 साल से ये परिवार किसी भगवान की नहीं ब्रूस ली की पूजा कर रहा है. इस परिवार की खास बात यह भी है कि इसके सभी सदस्य इंटरनेशनल मार्शल आर्ट और बॉक्सिंग  के खिलाड़ी हैं.

ब्रूस ली ने दिखाया रास्ता

बीते दिनों कैलाश प्रकाश स्पोट्र्स स्टेडियम में बॉक्सिंग प्रतियोगिता में इस परिवार से मुलाकात हुई. बागपत निवासी यशवीर सिंह आर्मी में सिक्लाई रेजीमेंट के बॉक्सिंग कोच हैं. यशवीर इंटरनेशनल ताइक्वांडो, कराटे और बॉक्सिंग के खिलाड़ी रहे हैं. यशवीर का पूरा परिवार ब्रूस ली की पूजा करता है. वजह है कि यशवीर सिंह को बचपन से ही ब्रूस ली की फिल्में देखने का शौक था. मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस के दौरान पसली टूट जाने पर कई दिन तक वो बिस्तर में पड़े रहे. घरवालों ने कहा कि मार्शल आर्ट छोडक़र कोई काम कर लो. ज्यादा पढ़ा लिखा न होने की वजह से नौकरी में मुश्किल होने लगी थी, लेकिन उन्होंने मार्शल आर्ट नहीं छोड़ा. यशवीर बताते हैं कि ‘मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे तो मैंने ब्रूस ली की फोटो सामने रखकर ही शिक्षा लेनी शुरू कर दी. इसके लिए मेरी बीवी ने मुझे इनकरेज किया. यह ब्रूस ली की ही कृपा थी कि मैं मार्शल आर्ट में दक्ष हो गया.’

नहीं छोड़ी ब्रूस ली की पूजा

ब्रूस ली की पूजा करते देख यशवीर के घरवालों को खराब लगा. मोहल्ले के लोग कहते थे कि ये किस की पूजा करते रहते हो. यशवीर बताते हैं कि मेरे घरवाले मुझ पर मार्शल आर्ट छोडऩे का दबाव बनाने लगे. आलोचना झेलने के बाद 16 साल पहले मैंने घर छोडऩे का फैसला किया. इसी दौरान मुझे बहुत सी मुसीबतों ने घेर लिया. मेरी बीवी का एक्सीडेंट हो गया. मेरे पास कोई रोजगार नहीं था. मैं आर्थिक रूप से कमजोर हो गया. लोगों ने कहा कि ये भगवान का प्रकोप है. तुम ब्रूस ली की पूजा करना छोड़ दो, सब ठीक हो जाएगा. मैंने किसी की एक ना सुनी. मुझे अपने और अपने गुरू और भगवान ब्रूस ली पर पूरा भरोसा था. इसके बाद मैंने छोटी मोटी नौकरी के साथ पढ़ाई की और कुछ सालों में आर्मी में नौकरी पा ली. दो साल पहले मेरी नौकरी लगी है.

फैमिली में गोल्ड ही गोल्ड

यशवीर का पूरा परिवार ताइक्वांडो और किक बॉक्सिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है. इनकी पत्नी सरिता और तीनों बच्चे अजय, विजय और अन्नू इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं. सरिता सिंह किक बॉक्सिंग और वुशु की खिलाड़ी रह चुकी हैं. एक्सीडेंट के बाद उन्होंने खेलना छोड़ दिया.

12 साल का बेटा अजय ताइक्वांडो और किक बॉक्सिंग के 90 मुकाबलों में 45 गोल्ड मेडल जीत चुका है. इसके अलावा अजय गजब का जिमनास्टिक खिलाड़ी है. 10 साल की बेटी अन्नू ने किक बॉक्सिंग के 16 मुकाबलों में 6 गोल्ड के साथ 12 मेडल जीते हैं. आठ साल का सबसे छोटा बेटा विजय 22 इंटरनेशनल मुकाबलों में 20 गोल्ड जीत चुका है. इसके अलावा अजय और विजय हैरतअंगेज स्टंट भी करते हैं. यशवीर बताते हैं कि बॉक्सिंग में अच्छा फ्यूचर देखते हुए मैंने अपने बच्चों को इस खेल में डाला. मैं अपने बच्चों को सेना में अफसर बनाना चाहता हूं, जो मैं नहीं बन सका.