- नक्सली हमले में शहीद हुए जवान के परिवार में मचा कोहराम

- बॉडी लेने गए परिवार वाले, पूरे गांव में शोक की लहर, इंतजार

Meerut। सरधना के कालंदी गांव में उस वक्त शोक का माहौल हो गया, जब यहां के रहने वाले एक सीआरपीएफ के जवान की नक्सली अटैक में शहीद होने की सूचना आई। साथ ही पूरा परिवार गम में डूब गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। सूचना पर परिजन छत्तीसगढ़ पहुंचे, जहां से बुधवार को शहीद की बॉडी मेरठ आनी थी, लेकिन देरी के चलते वे आज आ नहीं पाए। गुरुवार को बॉडी लाने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।

नक्सली हमला

गांव कालंदी का रहने वाला नीरज कुमार पुत्र रामपाल सिंह वर्ष ख्00ब् में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। नीरज अपने तीन भाइयों में दूसरे नंबर का था। चार साल से नीरज छत्तीसगढ़ में नक्सली एरिया में तैनात था। कुछ समय पहले ही उसकी शादी हुई थी। जिसका एक बच्ची भी है, जो शायद अपने पिता का सही से प्यार भी नहीं पा सकी। उधर छत्तीसगढ़ के सुकमा डिस्ट्रिक्ट के तोंगपाल इलाके में मंगलवार को सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने अटैक किया था, जिसमें सीआरपीएफ के करीब पंद्रह जवान शहीद हो गए थे। शहीद होने वाले जवानों में एक नीरज भी था।

घर पर लोगों का तांता

जैसे ही नीरज के शहीद होने की सूचना गांव में पहुंची तो नीरज के घर लोगों का तांता लग गया। ग्रामीणों ने मृतक नीरज के परिजनों को काफी सांत्वना दी। नीरज की पत्नी और मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल था। इसके साथ ही नीरज के परिजन बुधवार की सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर नीरज का पार्थिव शरीर लेने जाने के लिए रवाना हो गए, लेकिन रात तक बॉडी नहीं आ पाई थी। वहीं शाम को एसडीएम मनीष वर्मा, थाना प्रभारी पीके त्रिपाठी ने नीरज के घर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी।

पत्नी और मां बार-बार हो रही बेहोश

नीरज की मौत की सूचना के बाद से उसकी मां आशा और पत्नी सोनिका उर्फ कोमल का रो-रोकर बुरा हाल है। नीरज की मां और पत्नी का तो इतना बुरा हाल हो गया कि वे बार-बार बेहोश हो रही थीं। गांव के लोग सांत्वना तो दे रहे थे, लेकिन जिसका कोई चला जाता है उसका दिल ही इस दर्द को समझता है। नीरज के पीछे उसकी दो साल की मासूम बेटी परी रह गई, जो अपने पिता के साथ खेलना चाहती थी, घूमना चाहती थी, लेकिन आज उसका पिता देश के लिए शहीद हो गया।