सरिता के साथ हुई नाइंसाफी
अपनी स्पष्टवादिता के लिये मशहूर अखिल ने एक सम्मान समारोह में सरिता और अन्य भारतीय कोचों पर लगे आईबा के निलंबन मामले को गलत बताया. उन्होंने कहा कि मैंने सरिता देवी की बाउट देखी थी और मुझे लगता है कि वह अपना मुकाबला जीत गई थीं. उन्होंने खुद को पराजित घोषित किये जाने के बाद जो विरोध प्रकट किया था वह सही था. हालांकि अगले दिन पोडियम पर सरिता ने जिस तरह कोरियन बॉक्सर के गले में अपना मेडल पहना दिया था वह कतई सही नहीं था.

फैसले पर अडिग रहना होता
अर्जुन अवार्डी बॉक्सर अखिल ने कहा कि अगर सरिता को लगता है कि वह अपने विरोध में बिल्कुल सही थीं तो फिर उन्हें आईबा से यह कहते हुये माफी मांगनी चाहिये थी कि आगे से वह ऐसा नहीं करेंगी. किसी भी खिलाड़ी को अपने फैसले पर अडिग रहना चाहिये तभी जाकर उसका सही संदेश लोगों तक पहुंचेगा. अखिल ने क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलका का उदाहरण देते हुये कहा कि भारतीय खेलों में सचिन से बड़ा कोई खिलाड़ी नहीं है. उन्हें भी जिंदगी में कई बार गलत आउट दिया गया था. लेकिन उन्होंने कभी भी अंपायरों के फैसले का विरोध नहीं किया और उनका सम्मान करते हुये वह पवेलियन लौट गये.  

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