कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Sawan 2023 : सावन के महीने के अलावा सामान्य दिनों में भी भगवान शिव जी की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व होता हैं। हिंदू धर्म में बेल के पेड़ को पवित्र पेड़ माना जाता है। इस पेड़ की पत्तियां तीन पत्तों में विभाजित होती है। माना जाता है कि ये पत्तियां भगवान शिव की तीन आंखों का प्रतिनिधित्व करने वाली होती हैं। इन्हें बेलपत्र या फिर बिल्व पत्र भी कहा जाता है। वहीं हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार बेलपत्र त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। इसे भगवान शिव का पसंदीदा भी माना जाता है। इसलिए शिवजी को बिल्व या बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों को उनका विशेष आशीर्वाद मिलता है।


भगवान शिव को बेलपत्र क्यों चढ़ाए जाते हैं
भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के पीछे मान्यता है कि इसकी तासीर ठंडी होती है। यह शिवलिंग के अग्नि तत्व को ठंडा रखती है। मान्यता है कि बेल पत्र की उत्पत्ति देवी पार्वती के पसीने से हुई है। इस पेड़ के एक हिस्से में देवी पार्वती के अवतार का वास है। बेल के पेड़ में देवी लक्ष्मी का भी वास होता है। इसीलिए इसे पवित्र मानते हुए भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है।


चढ़ाने के नियम और इससे जुड़ी खास बातें
बेलपत्र चढ़ाने की संख्या निर्धारित नहीं होती है। बस भक्त का मन शुद्ध होना चाहिए। इसके अलवा बेलपत्र को तोड़ते हाथ स्वच्छ होने चाहिए। बेलपत्र को स्वच्छ जल से धोकर ही शिव जी को अर्पित करना चाहिए। बेलपत्र का ऊपरी भाग अपनी ओर रखकर चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा बेलपत्रों पर सफेद चंदन से ओम लिखकर शिव जी को अर्पित करने से वह हर इच्छा पूरी करते हैं। यह भी मान्यता है कि सोमवार के दिन, अमावस्या के दिन, मकर संक्रांति के दिन, पूर्णिमा के दिन, अष्टमी के दिन नवमी के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।

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