कोर्ट में देना होगा अविवाहित का सबूत
आपको बताते चलें कि जस्िटस एम.वाई. इकबाल और अमितवा रॉय की खंडपीठ ने एक फैसला सुनाते हुए इस बात जिक्र किया. पीठ का कहना है कि, इन जोड़ों के साथ रहने पर इन्हें पति-पत्नी का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन इसके साथ ही ऐसे कपलों को अपने अविवाहित होने का सबूत भी अदालत में पेश करना होगा. गौरतलब है कि साल 2010 से ही सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशन में रहने वाले कपलों पर फैसला सुनाता आया है. कोर्ट का शुरुआत से कहना है कि, ऐसे संबंधों को गैरकानूनी नहीं माना जाएगा और महिला को पत्नी का दर्जा दिया जाएगा.
अब संपत्ति पर हुआ विवाद
लिव इन रिलेशन को कानून से भले ही हरी झंडी मिल गई है, लेकिन समाज के कुछ वर्ग आज भी इसे गलत मानते हैं. इसी के चलते एक ताजा मामला अदालत में पहुंच गया, यह विवाद संपत्ति को लेकर हुआ है. इस केस में महिला के अगेंस्ट उसके लिव इन पार्टनर के परिवार वालों ने यह दावा किया था, कि मृत पुरुष के इस महिला से 20 साल तक संबंध रहे हैं, लेकिन उनके बीच शादी नहीं हुई थी. ऐसे में परिवार की संपत्ति पर उक्त महिला का कोई कह नहीं बनता है. वहीं परिवार वालों ने महिला को एक रखैल तक बताया है.
अदालत ने माना पत्नी
फिलहाल मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने इस महिला को पत्नी का दर्जा दिया है. कोर्ट का कहना है कि, महिला द्वारा अपने शादीशुदा होने का कोई सबूत पेश नहीं किया गया है, इस तरह उसे मृतक की पत्नी माना जाएगा. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि, परिवारवालों ने महिला और पुरुष के बीच लंबे समय के रिलेशन की बात कबूली है, इसलिए इस महिला का पत्नी होने के नाते संपत्ति पर बराबर का हक है.
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