एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में रबी की पैदावार बढ़ाने को लेकर हुई गोष्ठी

Meerut। खेती में रसायन और पेस्टीसाइड्स का प्रयोग कम करके और जैविक और प्राकृतिक खेती अपनाकर कम पानी और लागत में ज्यादा पैदावार और आमदनी की जा सकती है। किसानों के लिए यह सलाह सोमवार को कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित मंडलीय रबी उत्पादकता गोष्ठी में सामने आई। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को अब गन्ने की फसल में कम से कम 30 प्रतिशत की कमी करने की जरूरत है।

व्यावसायिक खेती पर जोर

मेरठ और सहारनपुर मंडल की मंडलीय रबी उत्पादकता गोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रदेश के मुख्य सचिव/कृषि उत्पादन आयुक्त राजेंद्र कुमार तिवारी ने दीप प्रज्जवलन कर किया। उन्होंने किसानों को व्यावसायिक खेती के अलावा, ड्रिप और स्िप्रकलर खेती अपनाने और पशुधन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि किसानों को पुराने ढंग से खेती से आगे आकर वैज्ञानिक पद्धति को अपनाना चाहिए। ऐसी खेती करनी चाहिए, जिससे उनकी आमदनी बढ़े। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को रोजी-रोटी देता है। किसानों की खुशहाली ही देश की खुशहाली का आधार है। मुख्य सचिव ने यूनिवर्सिटी के गांधी हॉल में लगाए गए स्टॉलों को भी देखा।

घटाना होगा गन्ने का उत्पादन

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष व राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को मिलकर गन्ने का उत्पादन 30 प्रतिशत तक घटाना होगा। अभी वे हम 90 से 95 प्रतिशत एक ही फसल लगा रहे हैं। अब गन्ने का क्षेत्रफल घटाना होगा, जिससे किसानों को फायदा होगा। वह इसके लिए जागरूकता अभियान चलाएंगे।

अफसरों को निर्देश

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे किसानों की समस्याओं को गंभीरतापूर्वक सुनें और समय-सीमा के अंदर उसका निस्तारण सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं का तुरंत निस्तारण सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसी कड़ी में प्रदेश में कई शुगर मिलों को फिर से शुरू किया गया है। सरकार गन्ने से सीधे ऐथेनॉल बनाने पर काम कर रही है। सल्फर फ्री चीनी बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है। कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रदूषण पर चिंता

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि पिछले वषरें की तुलना में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। भावी पीढी के लिए ठीक नहीं है। इसके लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी तथा मिलकर प्रयास करने होंगे। उधर, प्रमुख सचिव कृषि अमित मोहन प्रसाद और प्रमुख सचिव पशुपालन बी.एल। मीणा ने किसानों के लिए संचालित की जाने वाली सरकार की योजनाओं के बारे में बताया।

पराली के लिए बने नीति

मेरठ मंडल की कमिश्नर अनीता सी। मेश्राम ने कहा कि पराली जलाने को लेकर किसान भी सचेत हैं। उन्होंने फसल अवशेष और कूड़ा जलाने के लिए नीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि मंडल में विभिन्न गौ आश्रयस्थलों में 20 हजार से ज्यादा निराश्रित गायों की देखभाल की जा रही है। उन्होंने किसानों की समस्याओं का निस्तारण करने का भरोसा दिया। सहारनपुर मंडल के कमिश्नर संजय कुमार ने ऑर्गेनिक गुड़ को बढ़ावा देने की बात कही। मेरठ, बागपत, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, गाजियाबाद , हापुड़ व मुजफ्फरनगर के डीएम और सहारनपुर, शामली के सीडीओ ने रबी उत्पादन बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया। विभिन्न जगहों से आए किसानों ने भी अच्छी खेती के अनुभव बांटे।

गर्म वातावरण चाहिए

संयुक्त निदेशक, कृषि सुनील कुमार अग्निहोत्री ने गोष्ठी का संचालन करते हुए बताया कि रबी की फसल में गेहूं, जौ, मटर, सरसों, चना, मसूर व श्यालू आते हैं। उनकी बुआई कम तापमान पर की जाती है तथा पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की जरूरत होती है। इसकी बुआई अक्टूबर व नवंबर में की जाती है।