कानपुर। शौर्य चक्र से सम्मानित कर्नल नवजोत सिंह बल का गुरुवार को बेंगलुरु के एक सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। 39 वर्षीय कर्नल दो साल से कैंसर से जूझ रहे थे। कर्नल बल दुर्लभ कैंसर से पीडि़त थे और उनका कीमोथेरेपी इलाज चल रहा था। उनके दाहिने हाथ की गांठ को पहली बार 2018 में देखा गया था जब उनकी स्थिति का पता चला था। यह गांठ धीरे-धीरे कैंसर में बदल गई। कीमो होने के बावजूद, कर्नल बल ने सेना में सर्विस जारी रखी। कर्नल का दाहिना हाथ जनवरी 2019 में अलग कर दिया गया था। बावजूद इसके शरीर में कैंसर फैल रहा था, यह जल्द ही उनके फेफड़े, और हृदय तक पहुंच गया।

कैंसर के बावजूद दौड़े मैराथन में

पीटीआई ने आर्मी प्रवक्ता अमन आनंद के ट्वीट के हवाले से लिखा, कैंसर से पीडि़त होने के बावजूद कर्नल बल ने अपने शरीर की फिटनेस जारी रखी। यहां तक ​​कि एक हाथ से, कर्नल ने 50 पुल-अप किए और 21 किलोमीटर की अर्ध-मैराथन भी दौड़ी। अपनी दाहिनी बांह खोने के बाद, कर्नल बल ने अपने बाएं हाथ से उसी सहजता से फायर करना सीखा। इस बात का जिक्र आर्मी के प्रवक्ता अमन आनंद ने अपने ट्वीट में किया। आनंद लिखते हैं, 'उसने अपने साथी को तब तब उठाए रखा, जब तक वो गिर नहीं गए। गोलियों के सामने जाबांजी से डटा रहा। कैंसर से जंग लड़ रहा था। उसका एक हाथ जा चुका, इसके बावजूद हार नहीं मानी। हमेशा चेहरे पर मुस्कान रही। इस खालीपन को कोई नहीं भर पाएगा।'

आतंकियों को मार गिराया था

बल को कश्मीर की लोलाब घाटी की ऊपरी श्रेणियों में एक ऑपरेशन के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था, जहां उन्होंने अपने साथी के साथ आतंकवादियों के एक समूह का पीछा किया था और उनमें से दो को मार गिराया था। इस बात का जिक्र उनके साथी रहे मेजर सुरेंद्र पूनिया ने अपने ट्वीट में किया।

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