एक कोने में रो रही थी श्रुति जब महा साध्वियां उनके घर आई थी

श्रुति बहुत छोटी थी जब पहली बार उनके घर महासाध्वियां आई थी। जब ये महा साध्वियां उनके घर पहुंची तो उन्होंने श्रुति को एक कोने में रोता हुआ पाया था। किसी तरह उन साध्वियों ने उसको चुप कराया और पिता की आज्ञा लेकर अपने साथ ले गई। तब से ही श्रुति का मन ध्यान में लगने लगा और कुछ समय बाद उसने अपने घरवालों को साध्वी बनने की इच्छा बता दी। श्रुति की मां इस बात के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन फिर भी श्रुति ने एक ना सुनी और दीक्षा लेने चली गई।

रथ पर हुई सवार

दीक्षा स्थल तक लाने के लिए श्रुति को रथ पर सवार किया गया था। इस दीक्षा समारोह का आगाज मंत्र उच्चारण के साथ किया गया। सभा के प्रधान ने समारोह में ध्वजारोहण भी किया। महासाध्वी श्री सुलक्षणा महाराज ने श्रुति को दिक्षा दी। सुलक्षणा महाराज का 6 लोगों कपा एक ग्रुप है जिसको ठाणे-6  कहा जाता था। श्रुति के आने से अब इसको ठाणा-7 कहा जाने लगा है।

National News inextlive from India News Desk