कोलंबो (पीटीआई) श्रीलंका ने मंगलवार को ईस्टर संडे बम हमलों की पहली बरसी मनाई। इस हमले में 11 भारतीयों सहित लगभग 260 लोगों की मौत हो गई थी। आईएसआईएस से जुड़े स्थानीय इस्लामिक चरमपंथी समूह 'नेशनल थावहिद जमात (एनटीजे) के नौ आत्मघाती हमलावरों ने 21 अप्रैल 2019 को ईस्टर संडे के दिन तीन चर्चों और श्रीलंका के कई लक्जरी होटलों में विस्फोट को अंजाम दिया, जिसमें 258 लोगों की मौत हो गई और 500 से अधिक लोग घायल हो गए। श्रीलंकाई पुलिस ने बम विस्फोट के सिलसिले में 200 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए लॉकडाउन के बीच, श्रीलंका सरकार ने मंगलवार को सभी श्रीलंकाई लोगों से आग्रह किया कि उनकी याद में एक मोमबत्ती जलाकर आतंकी हमलों में मारे गए और प्रभावित हुए लोगों को याद करें।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री में जताया दुख

राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने अपने संदेश में कहा कि वह एक साल पहले हुए क्रूर ईस्टर संडे आतंकवादी हमलों को बहुत दुख के साथ याद करते हैं। राष्ट्रपति ने सभी नागरिकों से अनुरोध किया कि वे इस हमले में मारे गए, घायल और विकलांग हुए श्रीलंका और विदेशी नागरिकों के लिए मोमबत्ती जलाकर व एक मिनट का मौन रखकर सुबह 8.45 बजे याद करें। वहीं, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि आज देश में सबसे घातक आत्मघाती विस्फोटों के पूरे एक साल हो गए हैं, जिसने श्रीलंका के निर्दोष लोगों की जान ले ली। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों को इस हमले में नुकसान झेलना पड़ा है, हम उनसे वादा करते हैं कि श्रीलंका की सीमाएँ कभी भी कायरता के ऐसे कार्य नहीं देखेंगी। महिंदा ने कहा कि एक मित्र राष्ट्र की खुफिया सेवा ने तत्कालीन श्रीलंकाई सरकार को हमलों के लिए संभावित तारीखों और लक्ष्यों के लिए अग्रिम चेतावनी दी थी, जिसमें आतंकवादियों के नाम, पते और पहचान पत्र शामिल थे। इस हमले को रोका जा सकता था लेकिन कोशिश नहीं की गई।

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