केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत न मिलने पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने सम्बंधी बयान पर सियासत में गर्मी आ गयी है. भाजपा ने कहा है कि मतदाताओं को डराया जा रहा है कि अगर कांग्रेस को बहुमत नहीं दिया तो वे परोक्ष रूप से शासन करेंगे.

विपक्षी दलों ने उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे हार की हताशा करार दिया है. समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान की निंदा करते हुए कहा कि अगर लोकतंत्र में कोई धमकी देगा तो जनता उसका जवाब देगी.

वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता उमा भारती ने कहा कि उनकी पार्टी सड़क पर उतरकर इसका विरोध करेगी. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी जायसवाल के बयान को हार की हताशा बताया है.

यादव ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि जायसवाल को जल्द इस बात की सूचना मिल गई है कि कांग्रेस को हार मिल रही है. इसलिए हताशा में वह ऐसा बयान दे रहे हैं.

कानपुर में मतदान करने के बाद गुरुवार को जायसवाल से कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत न मिलने पर पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है. अगर हमारे नंबर कुछ कम पड़ते हैं तो सिवाए राष्ट्रपति शासन लागू होने के और कोई विकल्प नहीं होगा.

भाजपा के वरिष्ठ नेता एंव लखनऊ से सांसद लालजी टंडन ने भी एक समाचार चैनल से बातचीत में जायसवाल के बयान को संविधान का उल्लंघन बताया.

टंडन ने कहा कि यह तो साफ तौर पर मतदाताओं को डराया जा रहा है कि अगर कांग्रेस को बहुमत नहीं दिया तो वे परोक्ष रूप से शासन करेंगे.

उधर, चरखारी में मीडियाकर्मियों से बातचीत में उमा भारत ने कहा कि कांग्रेस पूरी तरह से हताश हो चुकी है और इसीलिए उसकी निराशा सामने आ रही है. उमा से यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी जायसवाल की शिकायत चुनाव आयोग से करेगी, तो उन्होंने कहा कि अभी इस पर मैं कुछ नहीं कह सकती लेकिन पार्टी इस बारे में फैसला करेगी.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले कांग्रेस महासिचव दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस को बहुमत न मिलने की दशा में सूबे में राष्ट्रपति शासन की बात कह चुके हैं.

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