-परिजनों से परेशान होकर किया सुसाइड का प्रयास

-थाना से आयोग तक एप्लीकेशन लेकर काटती चक्कर

GORAKHPUR:

'साहब मुझे मर जाने दीजिए। मैं बच्चों के साथ ही मरूंगी। रोज-रोज की किचकिच से आजिज होकर यहां आई हूं। जब घर पर मैं नहीं रहूंगी तो बच्चों को कौन देखेगा। इसलिए इनको भी साथ लेकर आई हूं.' गुरुवार सुबह बच्चों के साथ जान देने के इरादे से एक महिला बच्चों संग रेलवे ट्रैक के आसपास टहल रही थी। तभी ड्यूटी पर निकले तिवारीपुर थाना के कांस्टेबल आशुतोष श्रीवास्तव की नजर महिला पर पड़ी। दो बच्चों संग रेलवे लाइन किनारे महिला को देखकर वह उसका इरादा भांप गए। पास पड़ोस की पब्लिक की मदद से महिला को समझाबुझाकर थाने ले गए। तब सामने आया कि सिधारीपुर मोहल्ले की शरीफुननिशा अपनी फैमिली प्रॉब्लम से तंग रहती हैं। जिंदगी से पीछा छुड़ाने के लिए वह मौत को गले लगाना चाहती थीं। उनके पति शकील अहमद विदेश में रहते हैं। इसलिए उनका और उनके बच्चों का उत्पीड़न करते हैं।

एसओ तिवारीपुर सत्य प्रकाश सिंह ने परिवार के लोगों को बुलाकर सुलह-समझौता कराया। घर वालों को हिदायत दी दोबारा कोई शिकायत आई तो खैर नहीं होगी। यह अकेली शरीफुननिशा की कहानी नहीं है। बल्कि तमाम ऐसे महिलाएं हैं जो रोजाना फैमिली प्रॉब्लम से आजिज आकर भटक रही हैं। थानों से लेकर महिला आयोग तक महिलाएं न्याय की गुहार लगा रही। आरोप है कि सिस्टम उनके जख्मों पर मरहम नहीं लगा पा रहा।

पढ़ा-लिखा परिवार, समस्याएं बेशुमार

हाल के दिनों में कई शिकायतें पुलिस अधिकारियों के पास पहुंचीं। इनमें ज्यादातर महिलाएं ऐसी थीं जो ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं। लेकिन फिर भी घर में किसी न किसी बात को लेकर उनका झगड़ा होता रहा है। किसी मामले में परिवार की महिलाओं पर गंभीर आरोप लगते हैं तो किसी में पति पर दोष मढ़े गए हैं। बुधवार को राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला द्विवेदी के सामने भी ऐसी समस्याएं सामने आई। कुल 11 महिलाओं में छह ने पति पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। अन्य ने दूसरी वजहों को लेकर सामने आई समस्या के समाधान की मांग की।

यह कदम उठाने के निर्देश

नोडल अफसर ऐसे मामलों पर नजर रखें।

ऐसे मामलों की लगातार निगरानी की जाए।

मुकदमा दर्ज होने पर विवेचना में लापरवाही न हो।

विवेचना के दौरान पूरी पारदर्शिता बरती जाए।

शिकायत आने पर आरोपित पक्ष को बुलाकर काउंसिलिंग कराई जाए।

2019 की शिकायतें

कुल शिकायतों की तादाद- 2000

न्यायालय में भेजी गई शिकायतें- 200

पीडि़त और आरोपितों के बीच समझौते- 1300

महिला थाना पर दर्ज हुई एफआईआर- 94

बिना बच्चों के परिजनों के बीच एफआइर्1आर- 18

2020 में सामने आए एप्लीकेशन

महिला थाना में पहुंची शिकायतें- 67

कुल मामलों में दर्ज हुई एफआईआर- 10

बिना बच्चों वाले दंपति के बीच मुकुदमा- 04

वर्जन

महिला उत्पीड़न से संबंधित हर मामले में फौरन कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। फैमिली से जुड़ी प्रॉब्लम में दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग कराई जाती है। ज्यादातर मामले महिला थाना और अन्य जगहों पर आसानी से निपट जाती हैं। हर शिकायत पर पीडि़त महिला को एप्लीकेशन की फोटो कापी देते हैं। ताकि उनके दोबारा आने पर संबंधित इंस्पेक्टर, चौकी प्रभारी से कार्रवाई की प्रगति ली जा सके।

डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी