Sushmita Sen's Aarya Web Series Review: शो का नाम : आर्या

कलाकार : सुष्मिता सेन, सिकंदर खेर, चंद्रचूड़ सिंह, नमित दस, फ्लोरा साइनी, माया साओ, विकास कुमार, मनीष चौधरी, अलेक्स ओनील

क्रियेटर : राम माधवानी

डायरेक्टर्स : राम माधवानी, संदीप मोदी, विनोद

ओटीटी : डिज्नी प्लस हॉट स्टार

एपिसोड्स : दस

रेटिंग : तीन स्टार

इस सीरिज में सुष्मिता के अलावा चंद्रचूड़ सिंह की घर वापसी हुई है। अब आते हैं कहानी पर. आर्या सिर्फ एक क्राइम थ्रिलर नहीं है, बल्कि एक ऐसी औरत की भी कहानी है, जो अपने परिवार को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। फिर चाहे इसके लिए अपनों से भी उसे समझौता क्यों न करना पड़े। फिल्म का एक डायलोग है, कभी-कभी बात सही और गलत की नहीं होती है, गलत और कम गलत की होती है। पूरी कहानी का सार यही हैं. पढ़ें पूरा रिव्यू।

क्या है कहानी

राजस्थान का बैक ड्रॉप है। पूरी कहानी आर्या सरीन ( सुष्मिता सेन) को ही केंद्र में रख कर बुनी गई है। रॉयल परिवार है। आर्या अपने पति तेज सरीन (चंद्रचूड़ सिंह ) के साथ बेहद खुश हैं। उसकी दुनिया अपने तीन बच्चों के बीच है। तेज घर जमाई है और सरीन परिवार का बिजनेस चला रहा है। उसके दो और पार्टनर हैं। जाहिर है व्यापार है तो सबकुछ ब्लैक एंड वाइट नहीं होगा, ग्रे भी होगा। आपसी रंजिश, अधिक पा लेने की चाहत और बहुत कुछ कहानी को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ी कर देता है कि आर्या का पूरा परिवार बिखर जाता है। लेकिन आर्या अब कठिन निर्णय लेती है और कुछ मजबूत कदम उठाती है। एक मर्डर फिर एक और एक, और इस बीच गुत्थी सुलझ के भी उलझती जाती है। यहीं कहानी की खासियत है कि यह जानते हुए कि आगे क्या होगा, दर्शक के रूप में यह देखने में दिलचस्पी बढ़ जाती है कि आर्या अब अगला कदम क्या उठाएगी। हिंदी सिनेमा में महिला को ध्यान में रख कर ऐसी कहानियां कम रची गई हैं। ऐसा नहीं है की आर्या कोई मोर्चा लेकर निकलती है। लेकिन वह परिवार को प्रोटेक्ट करने के लिए ऐसे कदम उठाती है जो आसान नहीं होते हैं, यही कहानी के दिलचस्प ट्विस्ट हैं, जिसे रचने में राम माधवानी और उनकी टीम सफल रही है।

क्या है अच्छा

लम्बे समय के बाद कोई थ्रिलर कहानी आई है, जिसमें महिला किरदार को बखूबी दर्शाया गया है। थ्रिलर है मगर वायलेंस को ठूसने की कोशिश नहीं है। सुष्मिता और बाकी कलाकारों ने बिल्कुल नेचुरल एक्टिंग की है। राम ने बहुत ही सामान्य पेस और रफ्तार के साथ अपने किरदारों को जस्टिफाई किया है।

क्या है बुरा

कहानी दस एपिसोड से कम में समेटी जा सकती थी। कुछ एपिसोड लंबे हैं। सुष्मिता के अलावा शेष कलाकारों के हिस्से पर फोर्मेंस के मौके कम हैं। चंद्रचूड़सिंह का स्क्रीन स्पेस और अधिक रखा जा सकता था। कुछ दृश्य और परिस्थितियां पहले भी कई बार दिखे हैं फिल्मों में।

अदाकारी

सुष्मिता सेन ने लम्बे समय के बाद अच्छी पारी खेली है। एकदम सहजता और सरलता से स्वभाविक अभिनय है। एक मां के इमोशन और व्यापार के पेचीदगी को समझने और सुलझाने वाले अवतार में उन्होंने कमाल किया है। उनकी दूसरी पारी की अच्छी शुरुआत है। चंद्रचूड़ कॉन्सस लगे हैं। नमित दास के किरदार पर अच्छा काम नहीं हुआ है। उनमें जैसी क्षमता थी, उस मुताबिक परफोर्मेंस नहीं उभरा है। मनीष चौधरी, सिकन्दर खेर ने ठीक ठाक काम किया है।

वर्डिक्ट: वन टाइम वाच है

Review by: अनु वर्मा

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