जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के महिला एवं प्रसूति विभाग में कई खामियां है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. शुक्रवार को इसका जायजा और उसमें सुधार करने के मकसद से नेशनल क्वालिटी कंट्रोल इंश्योरेंस (लक्ष्य) की पांच सदस्यीय टीम पहुंची. इस दौरान टीम ने पाया कि एमजीएम अस्पताल के लेबर रूम और ऑपरेशन थियेटर (ओटी) मानक के अनुरूप नहीं है. गर्भवती को सीढ़ी चढ़कर लेबल रूम जाना पड़ता है. जिससे उनकी सांसे फूलने लगती है. गंभीर स्थिति में तो उन्हें कोई ले जाने वाला तक नहीं होता. कई बार तो गर्भवती नीचे ही पड़ी रहती है. जो चिंता का विषय है. इसके साथ ही लेबल रूम में जगह का भी अभाव है. ओटी का भी यहीं हाल है. इसे देखते हुए टीम ने दोनों को नये भवन में शिफ्ट करने का निर्देश दिया.

24 घंटे रनिंग वाटर के निर्देश

टीम ने देखा कि लेबर रूम में पानी की भी सुविधा नहीं है. टीम ने कहा कि वार्ड में 24 घंटे रनिंग वाटर व नवजात बच्चों की इलाज की सुविधा भी होनी चाहिए. ताकि इमरजेंसी हालत में उससे निपटा जा सकें. इसके साथ ही लेबल रूम में ब्लड प्रेशर से लेकर शुगर जांच, फीडिंग रूम की सुविधा होनी चाहिए. कर्मचारियों को प्रसव केंद्र का डाटा सही से इंट्री करने, टीम वर्क में काम करने, लेबल रूम के रिकॉर्ड को सही तरीके से रखने के साथ-साथ साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा. ताकि संक्रमण न फैले. इससे पूर्व अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार, उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद सहित अन्य पदाधिकारियों के साथ एक बैठक कर पूरी समस्याओं को समझा और उसे दूर करने का निर्देश दिया. उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी ने कहा कि टीम ने जो खामियां गिनाई हैं, उसमें कुछ सुधार जरूर हुआ है. बाकी शिफ्ट करने का काम सरकार के अधीन है. 24 घंटे रनिंग पानी की सप्लाई के लिए काम चल रहा है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा. लक्ष्य की टीम डॉ. दीपाली के नेतृत्व में पहुंची है. एमजीएम का निरीक्षण करने के बाद टीम ने खासमहल स्थित सदर अस्पताल के लेबल रूम को भी देखा. यहां प्रसव की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया गया. इस मौके पर सदर अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. वीणा सिंह, हॉस्पिटल मैनेजर निशांत प्रिये, फैसिलिटी मैनेजर प्रेमा मरांडी सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.

मातृ-शिशु मृत्युदर को कम करना लक्ष्य

केंद्र सरकार ने मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए लक्ष्य नाम से एक योजना शुरू की है. इसका मकसद गर्भवती को मिलने वाली सुविधाओं को बेहतर बनाना है. लेबल रूम और ऑपरेशन थियेटर में प्रसूताओं को आधुनिक सुविधाएं देना है. मातृ एवं शिशु मृत्यु दर सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है.