नई दिल्ली (पीटीआई)। दिल्ली हाई कोर्ट में ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब को लेकर दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई है। इस दाैरान चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को निर्देश दिया कि वह उन ऑनलाइन हेल्थ सर्विस एग्रीगेटर्स के खिलाफ कार्रवाई करे जो अवैध रूप से चल रहे और कोविड-19 परीक्षणों के लिए नमूने एकत्र कर रहे हैं। अदालत ने दिल्ली सरकार को रिप्रजेंट कर रहे अतिरिक्त स्थायी वकील संजय घोष और वकील उर्वी मोहन को यह निर्देश दिया कि किसी भी ऐसे ऑर्गनाइजेशन के खिलाफ कानून, नियम, विनियम और सरकार की नीति के अनुसार कार्रवाई की जाए जाे कानून के उल्लंघन में अवैध रूप से चल रही है।

आम लोगों के जीवन और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा

याचिकाकर्ता डॉक्टर रोहित जैन ने वकील शशांक देव सुधी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कहा था कि ऐसे हेल्थ सर्विस एग्रीगेटर्स आम लोगों के जीवन और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।इसके साथ ही उन्होंने केंद्र, दिल्ली सरकार और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को ऑनलाइन एग्रीगेटरों द्वारा संचालित सैंपल कलेक्शन सेंटर्स के लिए र पंजीकरण और न्यूनतम मानकों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी। इसके साथ ही एग्रीगेटर्स के प्रतिनिधि द्वारा नमूने लेने की न्यूनतम योग्यता भी निर्धारित भी निर्धारित करने को कहा था।

आम जनता के बीच उनकी वैधता को लेकर भ्रम पैदा हो रहा

डॉक्टर रोहित जैन ने याचिका में कहा कि था ऑनलाइन हेल्थ सर्विस एग्रीगेटर्स को नियंत्रित करने के लिए नियमों का अभाव है और ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से उनका अनफिटर्ड ऑपरेशन आम जनता के बीच उनकी वैधता को लेकर भ्रम पैदा कर रहा है। इसके साथ ही याचिका में आगे दावा किया गया था कि कई ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा एग्रीगेटर्स अवैध रूप से काम कर रहे हैं क्योंकि वे न तो नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (NABL) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं और न ही ICMR या किसी अन्य नियामक संस्था द्वारा अनुमोदित हैं।

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