Teachers' Day 2020: शिक्षा देने के पेशे को बहुत ही महान माना जाता है, क्‍योंकि यह काम करने वाला शिक्षक न सिर्फ स्‍टूडेंट्स को ज्ञान और समझ देता है, बल्कि उन्‍हें इस काम में बड़ी मदद करता है कि वो अपने भीतर की प्रतिभा और गुणों को पहचान सकें। भारत का इतिहास भी इसलिए महान रहा है कि यहां अलग अलग समय में कई महान शिक्षक सामने आए और उन्‍होंने अपने ज्ञान और समर्पण द्वारा तमाम लोगों को बड़े, कठिन लेकिन बेहतरीन काम करने को प्रेरित किया। तो आइए जानते हैं ऐसे ही उन 8 शिक्षकों से जिनके मार्गदर्शन से हजारों लोगों ने देश का नाम दुनिया में रौशन किया।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr Sarvepalli Radhakrishnan):
डॉ. राधाकृष्णनके नाम पर ही भारत में 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाता है। वह भारत के पहले उपराष्ट्रपति और देश के दूसरे राष्ट्रपति हुए। उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर से पढ़ाई लिखाई की। उन्होंने फिलासफी सब्जेक्ट में कई सबसे कठिन कॉन्सेप्ट्स पर काम करके दुनिया भर में बड़ी ख्याति प्राप्त की, तभी तो वह आध्‍यात्मिक शिक्षा पर खास तवज्जो देते थे। जब भी कभी स्टूडेंट्स उनके पास घर पर पढ़ने आते थे, तो वह उनका स्वागत करते थे, उन्हें चाय पिलाते थे। एक बार उनके कुछ छात्रों ने उनसे पूछा कि क्या हम आपका जन्मदिन धूमधाम से मना सकते हैं? इस पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने जवाब दिया कि मेरा बर्थडे धूमधाम से मनाने की बजाय यह मेरे लिए गर्व की बात होगी कि, वह दिन यानि 5 सितंबर टीचर्स डे के रूप में पूरे देश में मनाया जाए।

सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule):
भारत के पहले महिला स्कूल की पहली महिला अध्यापिका होने का गौरव सावित्रीबाई फुले को है मॉडर्न मराठी पोयट्री का जन्मदाता उन्हीं माना जाता है उस दौर में जबकि महिलाओं की कार्य क्षमता और उनके ज्ञान को कहीं भी आका नहीं जाता था उन्होंने पूरे देश में महिला शिक्षा और उनके उन्नति के लिए बहुत सा काम किया उन्होंने अपने पति की मदद से एक ऐसा स्कूल खोला जिसमें छुआछूत की शिकार लड़कियों को पढ़ाया जाता था उनके ऐसे कार्यों की वजह से उस दौर में दकियानूसी विचारधारा का शिकार रहे उसी जाति के लोगों ने उनका मजाक बनाया और उनके ऊपर पत्थर और गोबर ही फेका लेकिन उन्होंने इस सब की परवाह किए बगैर बच्चों को ज्ञान देना जारी रखा

डॉ. एपीजे अब्‍दुल कलाम (Dr APJ Abdul Kalam):
देश के मशहूर साइंटिस्ट डॉ. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। अब्दुल कलाम पूरी शिद्दत से यह मानते थे कि किसी भी व्यक्ति की पर्सनल ग्रोथ को बढ़ाने में एजुकेशन का सबसे प्रमुख रोल होता है। वह इस बात में यकीन करते थे कि सिर्फ स्कूल कॉलेज की डिग्रियां हासिल करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि स्टूडेंट्स को अपनी पर्सनल स्किल्स और क्षमताओं को भी निखारना चाहिए। जिसके द्वारा उनका अपना पर्सनल करियर और जिंदगी सही दिशा में आगे जाएगी। अब्दुल कलाम आईआईएम शिलांग और अहमदाबाद में गेस्ट लेक्चरर रहे। उन्होंने आईआईटी हैदराबाद में आईटी सब्जेक्ट के अलावा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना यूनिवर्सिटी में टेक्नोलॉजी सब्‍जेक्‍ट की पढ़ाई भी कराई।

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चाणक्य (Chanakya):
भारतीय इतिहास के एक प्रसिद्ध शिक्षक और ज्ञानी व्यक्ति के रूप में चाणक्य का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। वो कौटिल्य के नाम से भी प्रसिद्ध रहे हैं। उन्होंने उस वक्त की विश्व विख्यात तक्षशिला यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के शिक्षक के रूप में काम किया। साथ ही उन्होंने दो प्रसिद्ध किताबें लिखी अर्थशास्त्र और नीति शास्त्र।

रविंद्र नाथ टैगोर (Rabindra Nath Tagore):
रविंद्र नाथ टैगोर का अध्यापन किसी चाहरदीवारी के बीच समाने वाला नहीं था, तभी तो उन्होंने एक ऐसा स्कूल बनाया जो कि भारत को दुनिया के साथ सीधे तौर पर जोड़ सके। इस स्कूल में अध्यापन के दौरान वह अधिकतर वक्‍त कमरों में नहीं बल्कि पेड़ों के नीचे बच्चों को ज्ञान देते थे। उन्होंने वास्तव में गुरुकुल के कांसेप्ट को ही नए तौर तरीके से दुनिया के सामने रखा।

प्रेमचंद (Premchand):
हिंदी कथा जगत के महान कहानीकार प्रेमचंद ने मॉडर्न भारतीय साहित्य को बहुत कुछ दिया, तभी तो वो इतने विख्यात हैं। प्रेमचंद उत्तर प्रदेश के चुनार जिले में एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम करते थे। मुंशी प्रेमचंद, स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और उपदेशों से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। तभी उन्होंने अपनी कहानियों में भी उस दौर की तमाम बुराइयों और कुरीतियों पर कड़ा आघात किया और लोगों को भेदभाव और जात पात को भूलकर समानता के साथ जीने को प्रेरित किया।

स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati):
आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती वैदिक कालीन रीति रिवाज में सुधार व बदलाव के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं। वह संस्कृत भाषा और वेद पुराण के बहुत बड़े ज्ञाता के रूप में विख्यात हैं। दयानंद सरस्वती ने महिलाओं के लिए समान अधिकार की वकालत की। उन्‍होंने महिलाओं को शिक्षा का अधिकार और भारतीय वेद पुराणों को पढ़ने का अधिकार दिलाने के लिए लंबा संघर्ष भी किया। उन्होंने तमाम वेद पुराणों के संस्कृत और हिंदी में व्याख्यान भी दिए जो बहुत प्रसिद्ध हुए।

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda):
दुनिया में अपनी विशेष सोच और ज्ञान से भारत को महान ख्याति दिलाने वाले स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन के संस्थापक रहे हैं] जहां साधुओं और आम लोगों ने साथ मिलकर तमाम तरह की सोशल सर्विसेस करके लोगों की जिंदगी के स्‍तर को ऊपर उठाने के प्रयास किए। उनके अध्यापन और उनकी सोच ने शिक्षा और चरित्र निर्माण को बिल्कुल नए तरीके से परिभाषित किया। साथ ही उन्होंने भारत में मौजूद तमाम तरह के सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों को हराने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका मानना था कि हर एक इंसान में अनंत संभावनाएं हैं जोकि जिंदगी के अलग-अलग क्षेत्रों में शानदार तरीके से अभिव्यक्त होती हैं।

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