13 साल की उम्र में पहली परफार्मेंस
तीजन बाई का जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के गनियारी गांव में हुआ था. इनका परिवार परधी जाति का है, जिसे वहां पर आदिवासी माना जाता है. तीजन बाई का करियर 13 साल की उम्र में ही शुरु हो गया था. पड़ोस के ही एक गांव में उन्होंने एक परफार्मेंस की थी जिसके बदले उन्हें 10 रुपये मिले थे. हालांकि तीजन बाई पहली ऐसी महिला थीं, जोकि वेदमती स्टाईल में गाती हैं. वेदमती को बैठने का तरीका माना जाता है. फिलहाल शुरुआत में इन्हें काफी लोगों से आलोचना भी झेलनी पड़ी थी, जिसके चलते वह घर से बाहर अकेली रहने लगी फिर भी उन्होंने अपनी गायकी को नहीं छोड़ा. इसके बाद धीरे-धीरे तीजन बाई के करियर का ग्राफ चढ़ने लगा और वह एक फेमस 'पांडवानी' फोक सिंगर बन गईं. तीजन बाई ने चार शादियां की हैं. फिलहाल वह अपने चौथे पति तुका राम के साथ रह रही हैं.

पद्मभूषण तीजन बाई
'पांडवानी' फोक सिंगर तीजन बाई को कई अवॉर्ड भी मिले हैं. इनमें 1988 में पद्मश्री और 2003 में पद्मभूषण अवार्ड शामिल हैं. इसके अलावा 1995 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. हालांकि तीजन बाई को सबसे बड़ा ब्रेक तक मिला था, जब एमपी के एक थियेटर कलाकार हबीब तनवीर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना. जिसके बाद तीजन बाई को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने परफॉर्म करने का मौका मिला. वहीं 1980 की एरा में वह कल्चरल एंबेसडर नियुक्त की गईं. जिसके चलते उन्होंने इंग्लैंड, फ्रांस, स्िवटजरलैंड, जर्मनी, टर्की, ट्यूनीशिया और रोमानिया जैसे देशों में परफॉर्म करने का मौका मिला.

कभी नहीं की कोई गलती
तीजन बाई की सिंगिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, उन्हें पूरी महाभारत रटी हुई है और अभी तक लाइव परफार्मेंस के दौरान उनसे एक बार भी गलती नहीं हुई. दमदार आवाज की जादूगर तीजन बाई इस तरह से गाती हैं कि सुनने वाले उनके टैलेंट की तारीफ किए बिना नहीं रहते. अपने एक हाथ में इकतारा यानी तंबूरा लेकर जिस तरह से वह गाती हैं वह देखते ही बनता है. वैसे पांडवानी का असली मतलब होता है पांडव की कहानी. जिसे तीजन बाई काफी खूबसूरती के साथ सुनाती हैं.

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